वाराणसी। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और उसमें मिली शिवलिंग जैसी आकृति को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच तकरार जारी है। इस बीच, एक इतिहासकार ने दावा किया है कि जो आकृति मिली है, वो काफी प्राचीन लग रही है। इतिहासकार ने ये भी बताया है कि आकृति किस काल की है। वहीं, इस मामले में 1991 में कोर्ट में केस करने वाले एक शिवभक्त का कहना है कि वो मुस्लिम का वेश धरकर ज्ञानवापी गए थे और वहां उनको मंदिर के सारे सबूत दिख रहे थे। पहले आपको बताते हैं कि इतिहासकार भगवान सिंह ने क्या दावा किया है। अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक भगवान सिंह का दावा है कि जो आकृति वजूखाने के बीच मिली है, वो शिवलिंग ही है।
टीवी चैनल से भगवान सिंह ने कहा कि ये संरचना गुप्तकाल के दौरान की हो सकती है। उनका कहना है कि वाराणसी के पास सैदपुर और आसपास के इलाकों में गुप्तकाल में राजधानी भी हुआ करती थी। उनका दावा है कि पहले भी सैदपुर में इसी तरह का शिवलिंग मिला था। ये संग्रहालय में है। बता दें कि भगवान सिंह बीएचयू से पीएचडी और मूर्ति पूजा और प्राचीन भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि वृहद संहिता के 58वें अध्याय के 53-54 श्लोक में शिवलिंग के तीन भाग भग पीठ, भद्र पीठ और ब्रम्ह पीठ बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि टीवी पर जो वीडियो आया है, उसके मुताबिक सैदपुर के शिवलिंग की भग पीठ और उसमें समानता है। उन्होंने मस्जिद के सर्वे में मगरमच्छ की मूर्ति मिलने के बारे में बताया कि पहले मंदिरों के दरवाजों पर एक तरफ देवी गंगा और दूसरी तरफ देवी यमुना की मूर्तियां होती थीं। गंगा का वाहन मगरमच्छ और यमुना का वाहन कछुआ माना जाता है। भगवान सिंह ने दावा किया कि ऐसा लग रहा है कि पहले एक मंदिर था, जो चौथी से छठी सदी के बीच बनाया गया था।
वहीं, वाराणसी के निवासी और 1991 में इस मामले में केस करने वाले हरिहर पांडेय ने टीवी चैनल ‘ज़ी न्यूज’ से कहा कि वो जब सिर पर टोपी लगाकर मुसलमान का वेश धरकर ज्ञानवापी मस्जिद में गए थे, तो वहां उन्होंने मंदिर के सबूत देखे थे। उन्होंने बताया कि वो उस वक्त रात करीब 1 बजे मस्जिद में गए थे। वहां कलश, कमल, हाथी और मगरमच्छ की आकृतियां थीं। मंदिर के मलबे को पत्थरों से ढक कर रखा गया था। हरिहर ने दावा किया कि मलबा हटाना चाहिए। मलबे के नीचे ही ज्योतिर्लिंग और अन्य शिवलिंग भी मिलेंगे। उन्होंने ये दावा भी किया कि सारी जानकारी जब उन्होंने कोर्ट में दी, तो मुस्लिम पक्ष उनसे समाधान पूछने आया था। उन्होंने कहा था कि सड़क किनारे की वो 8 बीघे जमीन मस्जिद के लिए दे सकते हैं। इसपर मुस्लिम पक्ष राजी नहीं हुआ।