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Union Budget 2023: जीडीपी के लक्ष्य और अहम योजनाओं को पूरा करने में मोदी सरकार पिछले वित्तीय वर्ष में कितनी रही सफल, जानिए यहां

हर साल यहां कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। जाहिर तौर पर ऐसे में वित्त मंत्री को जनता को लुभाने वाला और ज्यादा बोझ न डालने वाला बजट बनाना होता है। इसके साथ ही तमाम योजनाओं की शुरुआत भी बजट के जरिए की जाती है। इसके अलावा सबसे अहम विकास दर यानी जीडीपी होती है।

pm modi

नई दिल्ली। मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आज अंतिम पूरा बजट आएगा। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। इससे पहले इस साल 9 राज्यों की विधानसभाओं के भी चुनाव होंगे। भारत को चुनावों का देश कहा जाता है। हर साल यहां कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। जाहिर तौर पर ऐसे में वित्त मंत्री को जनता को लुभाने वाला और ज्यादा बोझ न डालने वाला बजट बनाना होता है। इसके साथ ही तमाम योजनाओं की शुरुआत भी बजट के जरिए की जाती है। इसके अलावा सबसे अहम विकास दर यानी जीडीपी होती है। जिसे बढ़ाना हर सरकार की तरह मोदी सरकार का भी लक्ष्य रहा है। तो आज जानते हैं कि जीडीपी को आगे रखने के लिए मोदी सरकार पिछले साल कितनी सफल रही है। वहीं, कुछ अहम योजनाओं का हाल भी देखना जरूरी है।

-पिछले साल के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीडीपी के 9.2 फीसदी होने की उम्मीद जताई थी। रूस-यूक्रेन जंग और अन्य वजहों से ये इतनी नहीं हो सकेगी। रिजर्व बैंक ने दिसंबर 2022 में जीडीपी के 6.8 फीसदी होने का अनुमान लगाया है। फिर भी तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि दुनिया में सबसे ज्यादा जीडीपी भारत की ही रहने वाली है।

-सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कच्चे माल और ईंधन की कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गति काफी धीमी हो गई।

-सरकार की कुल आमदनी और खर्च के अंतर यानी राजकोषीय घाटे को पिछली बार निर्मला सीतारमण ने 6.4 फीसदी तक रखने की बात कही थी। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि फिलहाल सरकार ने इस स्तर को बनाए रखा है।

-पिछले साल आयात, ईंधन, राशन और खाद पर मोदी सरकार की सब्सिडी का खर्च भी काफी बढ़ गया है। ये रिजर्व बैंक की बीते दिनों आई रिपोर्ट कहती है।

-सबको घर मुहैया कराने की मोदी सरकार की अहम योजना भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी है। 2022-23 के वित्तीय वर्ष में सरकार इस योजना में 42 लाख घर तैयार नहीं कर सकी है। हालांकि, उसके पास इस साल मार्च तक का वक्त है।

-बात सड़कों की करें, तो इस साल हर रोज औसतन 21 किलोमीटर की सड़क बनी है। जबकि, 2021-22 में हर रोज औसतन 29 किलोमीटर और उससे पहले साल में हर दिन औसतन 37 किलोमीटर सड़क मोदी सरकार ने बनवाई थी।

-हर घर जल यानी पाइपलाइन से पेयजल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना में भी मोदी सरकार पिछले साल पिछड़ गई। 2022-23 में मोदी सरकार ने 3.8 करोड़ घरों में पाइपलाइन से पेयजल देने की बात कही थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल 1.7 करोड़ घरों में ही पाइपलाइन से पेयजल पहुंचा है।

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