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Navlakha Had ISI Connection!: एक्टिविस्ट गौतम नवलखा भारत के खिलाफ पाक की साजिश में शामिल!, एनआईए ने खोलीं खतरनाक साजिश की परतें

nia and gautam navlakha

मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि एलगार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध हैं। एनआईए का कहना है कि नवलखा का अमेरिका में गिरफ्तार आईएसआई एजेंट से संबंध सामने आया है। जांच एजेंसी ने इसी आधार पर गौतम नवलखा की जमानत अर्जी का बॉम्बे हाईकोर्ट में विरोध किया है। गौतम नवलखा की जमानत अर्जी के विरोध में एनआईए ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है। इसमें एनआईए ने ये दावा भी किया है कि नवलखा ने ऐसे काम किए, जिनसे राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और देश की एकता पर सीधा खतरा पैदा हुआ।

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस पीडी नाईक की बेंच के सामने एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने ये हलफनामा दाखिल किया है। बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को तय की है। अपने हलफनामे में एनआईए ने दावा किया है कि नवलखा ने तीन बार कश्मीरी-अमेरिकी काउंसिल के कॉन्फ्रेंस में अमेरिका जाकर हिस्सा लिया। इस कॉन्फ्रेंस को आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फई ने कराया था। गुलाम नबी फई को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने जुलाई 2011 में गिरप्तार किया था। उस पर आईएसआई और पाकिस्तान सरकार से फंड लेने का आरोप है। एनआईए के मुताबिक गौतम नवलखा ने अमेरिकी अदालत को इस मामले में फई को राहत देने की चिट्ठी भी लिखी थी।

एनआईए ने दावा किया है कि गौतम नवलखा को पाकिस्तानी आईएसआई के जनरल से भी मिलवाया गया था। आईएसआई के लिए नवलखा को नियुक्त किया जाना था। इससे पता चलता है कि गौतम नवलखा, गुलाम नबी फई और आईएसआई के बीच साठगांठ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से नवलखा को जेल की जगह घर पर नजरबंद किया है। एनआईए ने ये भी दावा किया है कि आरोपी का गहरा संबंध माओवादियों से भी है। अपने विचारों और वीडियो से माओवादी विचारधारा का नवलखा ने प्रचार भी किया। इसका इरादा सरकार का तख्ता पलटना था। जांच एजेंसी के मुताबिक आईएसआई ने नवलखा को सेना और अर्धसैनिक बलों में लोगों को अपने पक्ष में करने और माओवादियों के लिए कैडर भर्ती करने का जिम्मा सौंपा गया था। एनआईए का दावा है कि गौतम नवलखा सिर्फ आतंकी संगठन का समर्थन नहीं कर रहे थे, बल्कि उनका एक्टिव रोल रहा है। बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद की जनसभा हुई थी। जिसमें उग्र बयान दिए गए थे। इसके अगले दिन पुणे के ही कोरेगांव-भीमा युद्ध की बरसी पर जमकर हिंसा हुई थी। महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक एलगार परिषद की जनसभा को माओवादियों ने समर्थन दिया था। इस मामले में एक दर्जन आरोपी हैं।

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