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Hijab Row: कुरान में हिजाब को जरूरी बताकर अब पलटा मुस्लिम पक्ष, सुप्रीम कोर्ट में बताने लगा महिलाओं के हक का मसला

supreme court and hijab row

नई दिल्ली। हिजाब विवाद मामले में कुरान की दुहाई दे रहा मुस्लिम पक्ष अब इससे पलट गया है। सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई के दौरान कुरान का हवाला देना छोड़कर हिजाब को अब महिलाओं के अधिकार की बात कहने लगा। पहले मुस्लिम पक्ष के वकील कह रहे थे कि कुरान में हिजाब को जरूरी बताया गया है। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी हिजाब को कुरान में जरूरी कहे जाने को गलत बताया था और सरकारी शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर राज्य सरकार के बैन को सही बताया था। मुस्लिम पक्ष के बयान बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब भी मांगा है कि आखिर वो अब उलट बात क्यों कह रहे हैं।

सोमवार को जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील यूसुफ एच मुछाला और सलमान खुर्शीद ने कहा कि कोर्ट अरबी भाषा में कुशल नहीं है। जिसकी वजह से कुरान की व्याख्या नहीं कर सकता। इसके बाद ही दोनों ने कहा कि हिजाब को महिला के निजता, सम्मान और पहचान सुरक्षित रखने के अधिकार के तौर पर देखना चाहिए। सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत जैसे सांस्कृतिक विविधता वाले देश में प्रथाओं का सम्मान करने की भी जरूरत है। मुस्लिम महिलाएं यूनिफॉर्म के नियम से इनकार नहीं करतीं। वो अपनी सांस्कृतिक जरूरत और निजी पसंद के सम्मान में अतिरिक्त कपड़ा पहनना चाहती हैं।

मुछाला और खुर्शीद ने जब कुरान में हिजाब को जरूरी बताने की जगह इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकार और सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा बताया, तो बेंच ने उनसे सफाई मांगी। बेंच ने कहा कि पहले आप जोर देकर कह रहे थे कि हिजाब धार्मिक अधिकार है। अब तर्क दे रहे हैं कि हिजाब जरूरी है या नहीं, इसका फैसला करने के लिए कोर्ट को कुरान की व्याख्या नहीं करनी चाहिए। आप ये तर्क भी दे रहे हैं कि मामले को 9 जजों की बेंच में भेजा जाना चाहिए। इस पर आपको सफाई देनी होगी। बता दें कि कर्नाटक में कुछ महीने पहले मुस्लिम लड़कियों ने कॉलेज में हिजाब पहनकर जाने की कोशिश की। इसका विरोध हुआ। कॉलेज की ओर से हिजाब पर रोक लगाई गई। मामले के तूल पकड़ने पर कर्नाटक सरकार ने सरकारी कॉलेजों में हिजाब बैन कर दिया। इस मामले में मुस्लिम लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में भी अर्जी दी, लेकिन वहां से हिजाब बैन को सही बताया गया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ही लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।

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