नई दिल्ली। भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट एस. पद्मावती (Dr S padmavati) का कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण निधन हो गया है। वह 103 साल की थीं। पद्मावती बीते 11 दिनों से कोरोना से लड़ रहीं थी लेकिन अंतत: वह हार गईं। दिल्ली के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (National Heart Institute) के सीईओ ओपी यादव ने एक बयान में रविवार को कहा, “हमारी अपनी मैडम पद्मवती अब हमारे बीच नहीं रहीं। उन्होंने कोरोना से बहादुरी से लड़ाई की लेकिन वह 29 अगस्त को रात 11.09 बजे हमें छोड़कर चली गईं।”
नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक अन्य बयान के मुताबिक पद्मावती को बुखार और सांस लेने की तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान-पद्मविभूषण से नवाजी जा चुकीं मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट पद्मावती ने ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। उन्होंने लम्बे समय तक इस इंस्टीट्यूट के निदेशक और अध्यक्ष पद पर काम किया।
20 जून, 2017 के म्यांमार में जन्मीं पद्मावती ने रंगून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उन्हें देश छोड़ना पड़ा था और इसके बाद वह भारत में बस गईं। पद्मावती ने अपना पोस्ट ग्रेजुएट ब्रिटेन से किया और स्वीडन तथा जॉन्स हापकिंस हॉस्पीटल तथा हावर्ड यूनिवर्सिटी में कॉर्डियोलॉजी की पढ़ाई की।
भारत आने के बाद पद्मावती ने मेडिसीन के लेक्चरर के रूप में नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज ज्वाइन किया और फिर प्रोफेसर तथा हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनीं। इसके बाद वह मौलाना आजाद कॉलेज की निदेशक प्रींसिपल बनीं और फिर गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में कन्सल्टेंट और निदेशक रहीं।
1967 में पद्म भूषण पाने के अलावा 1992 में पद्मावती को पद्मविभूषण मिला। 2003 में पद्मावती को हावर्ड मेडिकल इंटरनेशनल अवार्ड मिला। इससे पहले 1975 में उन्हें बीसी रॉय अवार्ड दिया गया था।