नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार अपनी सरकार के चौथे कार्यकाल के लिए मशक्कत कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग बस बाकि है उसके बाद 10 तारीख को ईवीएम में दर्ज मतदाताओं के मताधिकार यह तय कर देंगे कि प्रदेश का अगला सीएम कौन होगा। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री को तौर पर एकबार फिर एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनकर रेस में हैं। आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में लगातार छह लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। लेकिन उन्होंने बिहार का मुख्यमंत्री बनने के लिए शुरू से ही विधान परिषद का रास्ता अपनाया। आप यह भी जानते होंगे कि बिहार उन छह भारतीय राज्यों में से है, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर विधानसभा और विधान परिषद मतलब निम्न और ऊच्च सदन दोनों है।
हालांकि वर्तमान में नीतीश कुमार अकेले मुख्यमंत्री नहीं हैं जिन्होंने विधान परिषद का रास्ता चुना। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी अपने राज्यों के विधान परिषद के सदस्य हैं। हालांकि अब इस बार अपनी पार्टी को लेकर बिहार में जिस तरह की विपरीत लहर नीतीश कुमार को दिख रही है। शायद यही वजह है कि पूर्णिया जिले के धमदाहा की चुनावी जनसभा में उन्होंने मंच से यह कह दिया कि यह उनका अंतिम चुनाव है। मतलब साफ है नीतीश कुमार अब सक्रिय राजनीति से अपने आप को अलग करने की तरफ इशारा कर रहे थे।
उन्होंने जनसभा के मंच से लोगों का कहा कि आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है, परसों चुनाव है और यह मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला। इसके बाद उन्होंने अपने प्रत्याशी लेसी सिंह को वहां जिताने की अपील की। वहीं इसी जनसभा को जब नीतीश कुमार संबोधित कर रहे थे तो इसी बीच मस्जिद से अजान होने लगी। नीतीश कुमार ने जैसे ही अजान सुनी, तुरंत भाषण रोक दिया और दो मिनट चुप रहने के लिए सभा में आए लोगों से अपील की। नीतीश कुमार ने मंच से कहा, ‘ये मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला। अब आप बताइए वोट दीजिएगा ना इनको। बहुत-बहुत धन्यवाद। हम इनको जीत का माला समर्पित कर दें।’
This is my last election, says Bihar CM and JD(U) Chief Nitish Kumar during an election rally in Purnia#BiharElections2020 pic.twitter.com/vLSL4uQd4v
— ANI (@ANI) November 5, 2020
एनडीए गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का चेहरा हैं और पिछले पंद्रह वर्षों से राज्य की गद्दी संभाल रहे हैं। नीतीश कुमार लगातार चौथी बार चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में जुटे हैं, वो चुनावी मंच से अपनी उपलब्धियों को गिना रहे हैं।
नीतीश का राजनीतिक सफरनामा भी कम रोचक नहीं रहा है
नीतीश कुमार ने 1977 में अपना पहला विधानसभा चुनाव हरनौत निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में लड़ा, लेकिन चुनाव हार गए। नौ साल के अंतराल के बाद उन्होंने 1985 में फिर से उसी सीट पर दांव आजमाया और जीत हासिल की। जद(यू) की तरफ से नीतीश के सार्वजनिक जीवन को इस तथ्य से रेखांकित किया जाता है कि उन्होंने 2005 में बिहार सरकार का नेतृत्व करने से पहले 1989 में (9 वीं लोकसभा) से 2004 (14 वीं लोकसभा) तक छह लोकसभा चुनाव जीते।
वहीं नीतीश के विधान परिषद के रास्ते मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने को लेकर पार्टी के अंदर से जो बात कही जाती है वह यह है कि जेडीयू पार्टी प्रमुख और राज्य सरकार के प्रमुख के रूप में अपनी बड़ी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए, नीतीश कुमार चुनाव लड़ने से दूर रहते हैं। वह जेडीयू और बिहार सरकार का मुखिया हैं। चुनावों में उन्हें राज्य भर में प्रचार करना होता है। यदि वह किसी विशेष सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो उसे अपनी सीट पर अधिक समय बिताना होगा। पार्टी के बड़े लाभ के लिए, वह चुनाव लड़ने से परहेज करते हैं।
हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर राज्यसभा सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री बनने वालों के भी कई उदाहरण हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा सदस्य थे (वे लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से हार गए थे), उनसे पहले इंद्र कुमार गुजराल भी उच्च सदन के ही सदस्य थे। इंदिरा गांधी भी जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं, तब वह भी राज्यसभा सदस्य थीं।
कई जनसभाओं में नीतीश का हो रहा है खुलकर विरोध
अब तक हुए चुनाव में नीतीश कुमार का काफी विरोध भी देखने को मिल रहा है। बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनाव में रैलियों के दौरान विरोध भी झेलना पड़ रहा है। अब राज्य के तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को है। इस फेज में 15 जिलों की 76 सीटों पर मतदान होने हैं। इसी क्रम में प्रचार करने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kuma) मधुबनी के हरलाखी विधानसभा क्षेत्र (Harlakhi Assembly Constituency) पहुंचे थे। वहां उन्होंने जदयू प्रत्याशी सुधांशु शेखर (JDU candidate Sudhanshu Shekhar) के लिए जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उनपर मंच के नीचे से एक शख्स ने प्याज फेंक दिया। दरअसल जब सीएम नीतीश इस चुनावी सभा में रोजगार और नौकरी की बात कर रहे थे तभी एक युवक ने सीएम नीतीश की तरफ मंच पर प्याज फेंक दिया।
बताया जा रहा है कि युवक ने प्याज की महंगाई से परेशान होने पर विरोध जताने के लिए ऐसा किया। सीएम नीतीश ने तत्काल ही युवक की ओर मुखातिब होकर कहा – खूब फेंको, खूब फेंको, फेंकते रहो, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
I condemn the Onion Attack on Nitish Kumar. Physical attacks are never the answer for anger.
Also, why are people wasting such a costly vegetable by throwing it?
? Onions at ₹100 is Modi’s fault. Poor Nitish Kumar is bearing the brunt.pic.twitter.com/QUcvbceeDi
— Srivatsa (@srivatsayb) November 3, 2020
प्याज फेंके जाने से सुरक्षा कर्मी सतर्क हो गए थे और सुरक्षा घेरा बना लिया। नीतीश कुमार ने सुरक्षा बलों से उस युवक को छोड़ देने के लिए कहा और अपना भाषण जारी रखा। इस असहज स्थिति में भी सीएम नीतीश ने कुछ क्षण के लिए अपना संबोधन जारी रखा और भाषण पूरा किया। हालांकि इस दौरान पत्थर फेंकने वाले शख्स ने लगातार नारेबाजी की और कहा कि शराब खुलेआम बिक रही है, तस्करी हो रही है लेकिन आप कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
#Correction: Onions pelted during Chief Minister Nitish Kumar’s election rally in Madhubani’s Harlakhi.#BiharPolls pic.twitter.com/0NwXZ3WIfm
— ANI (@ANI) November 3, 2020
वैसे ये पहला मौका नहीं है कि जब नीतीश कुमार इस चुनाव में विरोध का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले मुजफ्फरपुर के सकरा में एक चुनावी रैली के दौरान नीतीश कुमार के हेलीकॉप्टर की तरफ किसी व्यक्ति ने चप्पल फेंक दी थी। हालांकि, चप्पल हेलीकॉप्टर तक नहीं पहुंची। मुख्यमंत्री की रैली में व्यवधान पैदा करने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया था। इसके अलावा नीतीश कुमार की जनसभा में मुर्दाबाद की नारेबाजी भी हो चुकी है। मुजफ्फरपुर की रैली में भी नीतीश के सामने ही कुछ लोगों ने लालू यादव जिंदाबाद के नारे लगाए थे, तब मंच से ही नीतीश ने कहा था कि जिसके जिंदाबाद के नारे लगा रहे हो उसे ही सुनने जाओ, यहां क्यों आए हो।