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Chandrayaan 3: वक्त के साथ इसरो के वैज्ञानिक लगा रहे रेस, हर हाल में चांद पर इतने दिनों में पूरे करने हैं प्रयोग

chandrayaan 3

बेंगलुरु। चांद पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर तो इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलता से उतार दिया, लेकिन अब वे वक्त से रेस लगा रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिकों के पास महज 6-7 दिन बचे हैं। इतने दिन में उनको प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर के जरिए ज्यादा से ज्यादा प्रयोग और खोज करने हैं। अगर इतने दिनों में प्रयोग पूरे न हुए, तो इसरो के वैज्ञानिकों के पास शायद ही इन प्रयोग को करने का वक्त बचे। इसकी वजह चांद की वो खगोलीय परिस्थिति है, जो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को पूरी तरह नाकाम कर सकती है।

दरअसल, चांद पर सिर्फ 14 दिन सूरज की रोशनी रहती है। इसे चंद्रदिन कहा जाता है। इसके बाद अगले 14 दिन तक चांद घुप अंधेरे में डूब जाता है। जब चांद पर सूरज की रोशनी आनी बंद हो जाएगी, तो वहां का तापमान भी काफी गिर जाएगा। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद पर 7वें दिन से अंधेरा होना शुरू होगा और उस वक्त तापमान शून्य से नीचे 180 से 250 डिग्री तक चला जाएगा। इतने कम तापमान से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के यंत्रों के खराब होने के आसार हैं। साथ ही सूरज की रोशनी न पहुंचने के कारण दोनों ऊर्जा भी खो देंगे। ऐसे में चांद पर अंधेरा छाने से पहले इसरो के वैज्ञानिक हर प्रयोग और खोज करने में दिन-रात जुटे हैं।

अब तक विक्रम लैंडर ने ये पता किया है कि चांद की सतह और 10 सेंटीमीटर नीचे के तापमान में कितना अंतर होता है। विक्रम लैंडर के प्रोब से पता चला था कि चांद की सतह पर तापमान जहां 50 डिग्री था। वहीं, जमीन के 10 सेंटीमीटर नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे था। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि चांद की सतह के नीचे जमी हुई बर्फ हो सकती है। हालांकि, इस बारे में इसरो वैज्ञानिकों ने अब तक कुछ नहीं कहा है। बता दें कि इसरो के पहले चंद्रयान ने चांद पर पानी की खोज की थी। इससे पहले माना जाता था कि चांद पर पानी नहीं है।

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