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Isro Gaganyaan Crew Module Test: लॉन्च टलने के महज डेढ़ घंटे में इसरो वैज्ञानिकों का करिश्मा, गगनयान के क्रू मॉड्यूल को उड़ान भरते रॉकेट से सफलता से अलग कर समुद्र में उतारा

gaganyaan crew module 2

श्रीहरिकोटा। इसरो ने आज सुबह 8.30 बजे गगनयान के क्रू मॉड्यूल का टेस्ट लॉन्च स्थगित करने के महज 1.30 घंटे बाद ही इसे सफलता से लॉन्च करने का करिश्मा कर दिखाया। इसरो ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल को रॉकेट के जरिए काफी ऊंचाई तक प्रक्षेपित किया। जिसके बाद इसे उड़ान भरते रॉकेट से अचानक अलग कर तीन बड़े पैराशूट की मदद से बंगाल की खाड़ी में सफलता से और पूरी तरह सुरक्षित उतार लिया गया। देखिए इसरो के वैज्ञानिकों के इस करिश्मे का पूरा वीडियो।

इससे पहले आज सुबह गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सुबह 8 बजे लॉन्च किया जाना था। गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग मौसम खराब होने के बाद फिर सुबह 8.30 बजे तक टाली गई थी। सुबह 8.30 बजे के लिए गगयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग की जब उलटी गिनती चल रही थी और यान के प्रक्षेपण में महज 5 सेकेंड का वक्त रह गया, तो एएलएस यानी ऑटोमैटिक लॉन्च सीक्वेंस कम्प्यूटर ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लॉन्चिंग रोक दी। इसरो के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया था कि लॉन्चिंग के टलने की वजह का वैज्ञानिक पता करेंगे। इसके बाद ही इसरो के वैज्ञानिकों ने तेजी से काम किया और लॉन्च स्थगित होने के डेढ़ घंटे में ही इसे सफल बना दिया।

गगनयान के इस क्रू मॉड्यूल का नाम इसरो ने टीवी-डी-1 रखा है। गगनयान क्रू मॉड्यूल को एक रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष की तरफ प्रक्षेपित किया गया। रॉकेट के 17 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचने के बाद क्रू मॉड्यूल को उससे अचानक अलग करने की योजना बनाई गई थी। फिर ये क्रू मॉड्यूल नीचे आता और तीन बड़े पैराशूट के जरिए बंगाल की खाड़ी में इसे गिरना था। जहां भारतीय नौसेना के गोताखोरों को इसे हासिल करने का जिम्मा दिया गया था। इन सभी लक्ष्यों को पूरा कर लिया गया। इस टेस्ट उड़ान से इसरो के वैज्ञानिक ये देखना चाहते थे कि असली अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जब गगनयान भेजा जाएगा, तब किसी खतरे की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से सफलता से अलग कर अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाई जा सकती है या नहीं।

गगनयान की बात करें, तो 2024 के अंत या 2025 में इसे अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाने वाला है। भारत के लिए ये मिशन बहुत अहम है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों इसरो को आगे के काम का शेड्यूल भी सौंप दिया है। इसमें 2030 तक अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2035 में चांद पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतराने की जिम्मेदारी शामिल है। चांद पर बीती 23 अगस्त को इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 को उतारा था। चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास यान उतारने का करिश्मा अब तक सिर्फ भारत ने ही किया है। बाकी देशों के यान चांद की भूमध्य रेखा के आसपास उतरे थे।

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