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Aditya L1 Mission To Sun: सूरज की तरफ आज आदित्य एल-1 यान भेजेगा इसरो, जानिए किन यंत्रों से कौन से प्रयोग करेगा

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श्रीहरिकोटा। चांद पर भारत का परचम सफलता से फहराने के बाद आज इसरो के वैज्ञानिक सूरज की तरफ देश का पहला यान भेजने जा रहे हैं। आदित्य एल-1 नाम के इस यान को आज श्रीहरिकोटा से इसरो के वैज्ञानिक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए सुबह 11.50 बजे अंतरिक्ष में भेजेंगे। इस यान को एल-1 यानी लैग्रेंजियन प्वॉइंट पर स्थापित किया जाएगा। यहां से आदित्य एल-1 यान सूरज पर नजर रखेगा और अपने यंत्रों से तमाम प्रयोग करेगा। आदित्य एल-1 यान इसरो का पहला सैटेलाइट है, जिसे सूरज का अध्ययन करने के लिए भेजा जा रहा है। इससे पहले 22 देशों के यान सूरज का अध्ययन करने जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 14 यान अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन इसरो ने भेजे हैं।

आदित्य एल-1 को इसरो के वैज्ञानिक जिस लैग्रेंजियन प्वॉइंट 1 पर स्थापित करेंगे, उसकी धरती से दूरी करीब 15 लाख किलोमीटर है। धरती के चारों तरफ 5 लैग्रेंजियन प्वॉइंट हैं। इन लैग्रेंजियन प्वॉइंट पर धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल मिलते हैं। जिसकी वजह से कोई भी यान यहां लंबे वक्त तक टिका रहता है। एल-1 लैग्रेंजियन प्वॉइंट तक पहुंचने में इसरो के आदित्य एल-1 यान को करीब 4 महीने का वक्त लगेगा। जिसके बाद वहां से ये लगातार सूरज पर नजर रखेगा। खास बात ये है कि लैग्रेंजियन प्वॉइंट पर यान रखने से सूरज पर लगने वाले ग्रहण वगैरा नहीं दिखते और यान हमेशा प्रयोग करता रह सकता है। आदित्य एल-1 यान के अंतरिक्ष में प्रक्षेपण को आप इसरो की वेबसाइट, उसके फेसबुक और ट्विटर हैंडल के अलावा दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर सीधे देख सकते हैं।

आदित्य एल-1 में कई यंत्र लगे हैं। इनमें से प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं को परखेगा। वहीं, विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ कैमरा सूरज की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेगा। सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप से सूरज की अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ की तस्वीरें ली जाएंगी। सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर एक्स-रे को परखेगा। हाई एनर्जी एल-1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर हार्ड एक्स-रे किरणों पर प्रयोग इसके अलावा इसमें सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर और सुपरथर्म एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर भी लगे हैं। साथ ही ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स से मैग्नेटिक फील्ड पर प्रयोग होंगे।

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