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Jharkhand : हेमंत सोरेन सरकार में सहायक पुलिसकर्मियों पर टूटा पुलिस की लाठी का कहर, जाने क्या है पूरा मामला

Jharkhand police Lathi

नई दिल्ली। शुक्रवार को झारखंड में पुलिस ने अपने ही सहायक पुलिसकर्मियों पर जमकर लाठियां भांजी। इतना ही नहीं मार खाते सहायक पुलिसकर्मियों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस कार्रवाई में दर्जनों सहायक पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल सहायक पुलिसकर्मियों पर इसलिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा, क्योंकि सहायक जवानों ने वरीय पुलिस अधिकारियों की बात नहीं सुनी। दरअसल पूरे मामले की बात करें तो ये सहायक पुलिसकर्मी नक्सल प्रभावित 12 जिलों में तैनात किये गये थे और खुद को झारखंड पुलिस में स्थायी नौकरी देने की मांग कर रहे थे। इसके पहले राज्य में भाजपा की सरकार थी। ऐसे में तीन साल पहले रघुवर दास सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर तीन साल के लिए इन्हें 10 हजार रुपये प्रति माह के वेतन पर नौकरी दी थी। अब इनका कॉन्ट्रैक्ट 31 अगस्त को पूरा हो गया है। ऐसे में खुद को स्थायी करने को लेकर सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

बता दें कि ये सहायक पुलिसकर्मी चाहते हैं कि इन्हें झारखंड पुलिस में समायोजित किया जाये जिससे वो स्थायी हो सकें। इसके अलावा ये चाहते हैं कि इन्हें आश्वासन दिया जाये कि आने वाले दिनों में जब भी राज्य में पुलिस बल में नयी बहाली होगी, तो उन्हें नियुक्ति में प्राथमिकता दी जायेगी। इसको लेकर इनकी पुलिस अधिकारियों के साथ दो दौर की वार्ता भी हो चुकी है, जोकि विफल रही है।

सरकार और वरीय पुलिस अधिकारी न तो इन 2,350 सहायक पुलिसकर्मियों के कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाने के मूड में है, न ही इन्हें स्थायी नौकरी देने का ठोस आश्वासन दे रहे हैं। इससे ठेका पर बहाल किये गये सहायक पुलिसकर्मियों के मन में गुस्सा है। इनका कहना है कि तीन साल तक इन्होंने जान जोखिम में डालकर नक्सल प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षा दी। खुद को स्थायी करने को लेकर इन लोगों का कहना है कि भाजपा की सरकार ने जब इन्हें नौकरी दी थी, तो कहा था कि तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें झारखंड पुलिस में स्थायी नौकरी दी जायेगी। अब जबकि तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया, तो सरकार उन्हें बेरोजगार कर रही है। 10 हजार रुपये पहले ही कम थे, अब बेरोजगारी में उनका परिवार कैसे चलेगा।

अपनी मांग को मनवाने के लिए इन लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास और राज भवन का घेराव करने का ऐलान किया है। इन लोगों का कहना है कि अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाकर रहेंगे। इसी उद्देश्य से ये लोग 12 सितंबर, 2020 को रांची पहुंचे। रास्ते में इन्हें जिला पुलिस ने रोकने की कोशिश की, लेकिन ये लोग जैसे-तैसे रांची पहुंचे।

वहीं इस लाठीचार्ज पर सूबे के पूर्व सीएम रघुबरदास ने कहा कि, “नक्सलियों और अपराधियों के सामने पस्त झारखंड सरकार अपने डंडे का जोर निहत्थे सहायक पुलिसकर्मियों आजमा रही है। यह राज्य सरकार की दमनकारी नीति है। अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हमारे आदिवासी-मूलवासी सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस का प्रयोग करना घोर निंदनीय है।”

वहीं सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन के सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनके प्रति सरकार का सोच सकारात्मक है। वह सरकार के समक्ष अपनी मांग रखें, उस पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जायेगा। लेकिन उनके द्वारा गैर कानूनी कदम उठाये जाने पर सरकार कोई समझौता भी नहीं करेगी। लाठीचार्ज के सवाल पर सीएम ने कहा कि इस बारे में उन्हें अभी कोई जानकारी नहीं है कि क्यों हुआ।

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