बेंगलुरु। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर आज शाम उतारने की योजना इसरो के वैज्ञानिकों ने बनाई है। इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारने के लिए 23 अगस्त की शाम 5.45 बजे का वक्त तय किया था। बाद में इस वक्त को बदलकर शाम 6.04 बजे कर दिया गया। चांद की सतह पर विक्रम लैंडर को उतारने की प्रक्रिया तय वक्त से 2 घंटे पहले ही इसरो के वैज्ञानिक शुरू कर देंगे। विक्रम लैंडर के एक-एक यंत्र, सेंसर और इंजन के साथ उसमें लगे कम्प्यूटरों की गहन जांच इस दौरान की जाएगी। जरा सी भी अगर गड़बड़ी हुई, तो विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने की तारीख भी बदलनी पड़ सकती है।
इसरो की ओर से बताया गया है कि विक्रम लैंडर के सभी यंत्र फिलहाल ठीक काम कर रहे हैं। इसे एक चंद्रदिन के लिए चांद की सतह पर उतारा जा रहा है। चांद का एक दिन 14 दिन का होता है। इस दौरान पूरे समय चांद पर सूरज की रोशनी पड़ती रहती है। अगस्त में चंद्र दिन 23 अगस्त से ही शुरू हो रहा है। इस दौरान विक्रम लैंडर उतारने पर उसके सोलर पैनल को असीमित धूप मिलेगी। इस धूप के जरिए ही बैटरी चार्ज कर विक्रम लैंडर काम कर सकेगा। वहीं, विक्रम लैंडर के साथ जो प्रज्ञान रोवर चांद की सतह की पड़ताल अपने यंत्रों और कैमरे से करने वाला है, उसमें भी सोलर पैनल लगे हैं। यानी प्रज्ञान रोवर को भी चांद पर अपना काम करने के लिए धूप चाहिए।
अब आप सोच रहे होंगे कि अगर आज विक्रम लैंडर चांद पर उतरने में नाकाम रहता है, तो फिर क्या होगा? चिंता की बात नहीं है। इसरो की तरफ से बताया गया है कि अगर आज विक्रम लैंडर चांद पर नहीं उतरा जा सका, तो फिर 27 अगस्त को इसे उतारने की कोशिश होगी। अगर उस तारीख को भी विक्रम लैंडर चांद पर न उतारा जा सका, तो फिर इसरो के वैज्ञानिकों को अगले चंद्रदिन का इंतजार करना होगा। ये चंद्रदिन 27 दिन बाद यानी सितंबर महीने में आएगा। फिलहाल उम्मीद यही है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को आज इसरो के वैज्ञानिक सकुशल चांद पर उतार लेंगे और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम नया इतिहास रच देगा।