अलीगढ़। देशभर में एक महिला की खूब चर्चा हो रही है। उनका नाम है नईमा खातून। नईमा खातून इस वजह से चर्चा में हैं, क्योंकि उनको प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू का वाइस चांसलर बनाया गया है। एएमयू के बीते 100 साल के इतिहास में वाइस चांसलर पद पर पहली बार महिला की नियुक्ति हुई है। इससे पहले 1920 में भोपाल के नवाब खानदान की बेगम सुलतान जहां को एएमयू का वाइस चांसलर बनाया गया था।
नईमा खातून को 5 साल के लिए एएमयू का वाइस चांसलर बनाया गया है। वो अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। उनके पति मोहम्मद गुलरेज एएमयू के कार्यवाहक वाइस चांसलर हैं। नईमा खातून एएमयू से ही पढ़ी हैं। उन्होंने एएमयू से मनोविज्ञान में पीएचडी की। मनोविज्ञान विभाग में ही साल 1988 में वो लेक्चरर बनीं। फिर 2006 में उनको प्रोफेसर पद मिला और फिर 2014 में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की वीमेंस कॉलेज की नईमा खातून प्रिंसिपल बनाई गईं। अब वो वाइस चांसलर पद पर अगले 5 साल तक रहेंगी। छात्रों के बीच नईमा खातून की काफी सराहना होती है। छात्रों के हित के लिए तमाम काम उन्होंने किए। नईमा खातून की वाइस चांसलर पद पर नियुक्ति से छात्रों में खुशी है।
एएमयू की स्थापना 24 मई 1857 को सर सैयद अहमद खां ने की थी। एएमयू को स्थापना के समय मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। साल 1920 में इसका नाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किया गया। सर सैयद इसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी जैसा बनाना चाहते थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पूरी दुनिया में पहचानी जाती है। देश के अलावा विदेश से भी तमाम छात्र यहां आकर शिक्षा हासिल करते हैं। मूल रूप से ये अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर पहचाना जाता है, लेकिन यहां दूसरे धर्मों के छात्रों को भी एडमिशन दिया जाता है।