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Why China Wants Arunachal: अरुणाचल के तवांग पर चीन की इस वजह से है गिद्ध जैसी नजर, पहले भी कब्जे की कर चुका है कई कोशिश

tawang arunachal pradesh

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय पोस्ट पर चीन की सेना के हमले से इतिहास एक बार फिर ताजा हो गया है। पूरे अरुणाचल पर चीन दावा ठोकता रहता है। वो इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। सबसे ज्यादा उसकी नजर तवांग और ताजा संघर्ष की जगह यांगत्से पर रहती है। इन इलाकों पर चीन लगातार कब्जे की कोशिश करता रहा है। 1962 की जंग में चीन की सेना तवांग तक पहुंचने की कोशिश में थी, लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने उसकी ये मंशा पूरी नहीं होने दी। जिसके बाद युद्धविराम घोषित कर चीन की सेना वापस लौट गई थी। पिछले कुछ साल में उसने अरुणाचल में एलएसी के पार तमाम हाइवे, सेना की पोस्ट, हेलीपैड और पक्के रिहायशी मकान भी बना डाले हैं। इन मकानों में चीन के नागरिक और सेना के जवान रहते हैं। इसी वजह से मोदी सरकार ने भी अपनी सेना की सुविधा के लिए अरुणाचल से लेकर पूर्वी लद्दाख तक इन्फ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछा दिया है। तमाम प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं और साल 2026 तक बाकी प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की डेडलाइन तय कर दी गई है।

साल 1962 में भारत और चीन के बीच जंग के दौरान का फाइल फोटो

जिस यांगत्से में भारत और चीन के बीच ताजा संघर्ष हुआ है, वो तवांग से करीब 35 किलोमीटर पूर्वोत्तर में है। ये रणनीतिक नजरिए से भारत के लिए अहम है। यहां भारत की सैन्य पोस्ट भी है। वहीं, यांगत्से पर चीन इसलिए काबिज होना चाहता है, क्योंकि उसे अरुणाचल में एलएसी पर नजर रखने में सुविधा होगी और तिब्बत के दक्षिणी इलाकों तक उसकी आवाजाही भी आसान हो जाएगी। साथ ही युद्ध हुआ, तो भारत के खिलाफ ऊंचे इलाके से हमला बोलना भी उसके लिए आसान हो जाएगा। 1962 की जंग के दौरान भी ऊंचाई वाले इलाकों की वजह से चीन के सैनिकों को काफी सहूलियत हुई थी। जबकि, साज-ओ-सामान पहुंचाने में भारतीय सेना ने तमाम कठिनाइयों का सामना किया था।

चीन पहले भी अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की तमाम कोशिश कर चुका है। पिछले कुछ साल की बात करें, तो अक्टूबर 2021 में चीन के सैनिक अरुणाचल में एलएसी के पार आने की कोशिश में थे। तब चीन के करीब 200 सैनिकों ने भारतीय जवानों से संघर्ष का इरादा बनाया था, लेकिन वे नाकाम रहे थे और उनको वापस एलएसी के पार धकेल दिया गया था। अरुणाचल को लेकर चीन की साजिश कितनी गहरी है, ये इसी से समझा जा सकता है कि उसने 30 दिसंबर 2021 को नया नक्शा जारी किया था। जिसमें अरुणाचल के 15 जगह के नाम बदल दिए थे। भारत ने तब इस कदम का जमकर विरोध किया था।

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