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Russia-Ukraine: जानें क्यों भारत ने रूस के खिलाफ नहीं किया UNSC में वोट, पाकिस्तान भी है वजह

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नई दिल्ली यूं तो रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बेशुमार मसलों को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार है, लेकिन इन मसलों में से एक मसला खासा सुर्खियों में है और वो यह है कि आखिर क्यों भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ मतदान करने से गुरेज कर रहा है। वैसे तो हम सभी को पता है कि रूस और भारत एक-दूसरे के प्रगाढ़ मित्र हैं। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की। भारत और रूस की दोस्ती पर कभी कोई आंच नहीं आई। शायद यह उसी की नतीजा है कि आज यानी की तीसरे दिन भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने रूस के खिलाफ जाकर मतदान करने से गुरेज करना ही मुनासिब समझा, लेकिन क्या आपको पता है कि इकलौते भारत ने ही नहीं, बल्कि रूस ने भी पूरी शिद्दत से भारत का साथ निभाया है। रूस भी कई मौकों पर भारत के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोट कर चुका है। आइए, आगे की रिपोर्ट में हम आपको कुछ ऐसे ही मौके के बारे में तफसील से बताए चलते हैं।

कश्मीर का मुद्दा

आपको तो पता ही होगा कि कई मौकों पर भारत को कश्मीर मसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के दरम्यान अपनी आमद दर्ज करवानी पड़ी है। 1955 में सोवियत संघ (USSR) के तत्कालीन नेता निकिता ख्रुश्चेव भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने तब कहा था कि मास्को बस ‘सीमा पार’ है और कश्मीर मामले में कोई परेशानी नहीं होने पर हमें उसे बताना है।

1955 में सोवियत संघ (USSR) के तत्कालीन नेता निकिता ख्रुश्चेव भारत दौरे पर आए थे। उन्होंने तब कहा था कि मास्को बस ‘सीमा पार’ है और कश्मीर मामले में डिमिलिटराइज के लिए संयुक्त राष्ट्र की सेना उतरनी चाहिए। उस समय USSR ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया। शायद यह उसी का नतीजा है कि भारत रूस के पक्ष में है।

1961 में गोवा का मुद्दा

अगर आपको इतिहास का ज्ञान हो तो पता ही होगा कि भारत के आजाद होने के बाद भी तकरीबन 14 सालों तक गोवा आजाद नहीं हुआ था। वहां 1961 तक पुर्तगालियों का कब्जा बरकरार रहा था। गोवा की आजादी के लिए अनवरत जंग जारी रही।

जिसके बाद पुर्तगालियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने गोवा को अपना बताया था, लेकिन रूस ने अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर पुर्तगालियों के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। माना जाता है कि रूस के समर्थन के उपरांत ही गोवा को पुर्तगालियों से 19 दिसंबर 1961 को आजादी मिली थी।

भारत-पाकिस्तान की आजादी

1947 में भारत और पाकिस्तान आजाद हो गए थे, जिसके बाद दोनों ही देशों के बीच मुख्तलिफ मसलों को लेकर विवादों की दरिया बह गई। इस बीच आयरलैंड संयुक्त राष्ट्र में दोनों ही देशों के बीच वार्ता की पेशकश लेकर पहुंच गया, मगर भारत ने इसका विरोध किया है।

लेकिन भारत के विरोध के बावजूद भी कई सदस्य देशों ने आयरवैंड के पक्ष में वोट किया था, मगर रूस ने अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को सिरे चढ़ने से पहले गिरा दिया।

1971 का कश्मीर मुद्दा

ध्यान रहे कि 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति को लेकर भारत और पाकिस्तान के युद्ध चल रहा था। इस दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर के मसले का अंतरराष्टीय करण के लिए संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन रूस ने भारत का साथ निभाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ वोट कर उसके प्रस्ताव को सिरे चढ़ने से पहले ही खारिज कर दिया था।

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