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PM Modi In South India: आज फिर दक्षिण भारत में पीएम मोदी, 3 महीने में कर चुके हैं 20 दौरे, समझिए आखिर किस वजह से दे रहे इस इलाके में चुनाव प्रचार को तरजीह?

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी आज फिर दक्षिण भारत के दौरे पर रहने वाले हैं। आज वो केरल, कर्नाटक और तेलंगाना में चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। साथ ही मोदी का रोड शो भी है। पीएम मोदी के दक्षिण भारत दौरे पर नजर डालें, तो बीते 3 महीने में वो 20 बार यहां के राज्यों में जा चुके हैं। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले मोदी ने दक्षिण भारत के मंदिरों और धार्मिक स्थलों में जाना शुरू किया था। अब चुनाव प्रचार के लिए वो लगातार दक्षिण भारत के राज्यों का दौरा करते नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी ने इस बार बीजेपी के लिए 370 लोकसभा सीटों और एनडीए के लिए 400 पार का नारा दिया है। माना यही जा रहा है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही इस बार दक्षिण भारत में बीजेपी और एनडीए को लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर जीत दिलाने के लिए पीएम मोदी लगातार इस इलाके के राज्यों में जा रहे हैं। दरअसल, दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक को छोड़ दें, तो बीजेपी को बाकी राज्यों में लोकसभा की ज्यादा सीटें जीतने का मौका अब तक नहीं मिला है। ऐसे में दक्षिण के राज्यों में अगर बीजेपी और एनडीए गठबंधन के साथी दल इस बार ज्यादा सीटें हासिल करने में सफलता पाते हैं, तो इससे मोदी का 370 और 400 पार का लक्ष्य आसानी से पूरा हो सकता है। साथ ही अगर बीजेपी और एनडीए इन दक्षिणी राज्यों में जीती, तो उससे विपक्ष को भी तगड़ा झटका लगेगा।

अगर दक्षिण के राज्यों की बात करें, तो तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से 2014 में बीजेपी 1 सीट और 2019 में 4 सीटें जीती थीं। कर्नाटक को देखें। यहां लोकसभा की 28 सीटें हैं। इनमें से बीजेपी ने 2014 में 17 और 2019 में 25 सीटें जीती थीं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश की 25, केरल की 20 और तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी। दक्षिण के इन सभी राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 129 सीटें होती हैं। पुदुचेरी की 1 सीट को मिला दें, तो सीटों की संख्या 130 होती है। अगर इनमें से आधी यानी 65 सीटें भी बीजेपी इस बार जीतती है, तो मोदी का दिया लक्ष्य लोकसभा में हासिल करने में उसे आसानी होगी। और शायद इसी की वजह से इस बार मोदी ने खुद दक्षिण में घूम-घूमकर बीजेपी और एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने का फैसला किया। हालांकि, इसमें उनको कितनी सफलता मिलती है, ये 4 जून को लोकसभा चुनाव नतीजे आने पर ही पता चल सकेगा।

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