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Delhi: डीटीसी बस की खरीद को लेकर एलजी ने लगाया केजरीवाल सरकार पर बड़ा आरोप, खोल कर रख दी पोलपट्टी

नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर बड़ा आरोप लगाया है। उपराज्यपाल ने कहा है कि बीते दिनों दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद के संदर्भ में डीटीसी ने प्रतिवेदन सार्वजनिक किया था, जिससे विसंगतियों के बारे में पता चला था। दिल्ली सरकार पर आरोप है कि डीटीसी बसों की खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया में कथित रूप से उल्लंघन भी किया था। और यह सबकुछ परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की अगुवाई में किया गया है, जिसके बाद केजरीवाल सरकार सवालों के घेरे में आ चुकी है। उपराज्यपाल द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट के मुताबिक, दिल्ली सरकार पर आरोप है कि डीटीसी बसों की खरीद के दौरान केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देशानिर्देशों और सामान्य वित्तीय नियमावली का घोर उल्लंघन किया गया है। नोट में आगे कहा गया है कि डीटीसी बसों की खरीद से पूर्व निविदा प्रक्रिया से संदर्भित प्रतिवेदनों को दिल्ली परिवहन निगम के समक्ष पेश करने से पहले ही कथित तौर पर कई नियमों का उल्लंघन किया गया था। लेकिन, उस वक्त किसी का भी इस पर ध्यान नहीं गया था।

बता दें कि डीटीसी ने बसों की खरीद के संदर्भ में डीटीसी ने 1,000 बसों की खरीद के लिए निविदा जारी की थी और यह 1,000 बीएस-IV या नवीनतम बसों की आपूर्ति के लिए एकल निविदा थी। -पूर्व-बोली में, 1,000 बसों की मात्रा को 400 BS-IV बसों और 600 BS-VI बसों में विभाजित किया गया था, लेकिन निविदा अभी भी केवल एक ही थी और बोली लगाने वाले दोनों प्रकार की इन सभी 1,000 बसों के लिए बोली लगा सकते थे। चूंकि केवल दो प्रकार की बसों के विभाजन ने आरएफपी को दो अलग-अलग निविदाओं में कभी नहीं बदला।

हालांकि, बोली सलाहकार (डीआईएमटीएस) और डीटीसी की निविदा समिति ने वित्तीय बोलियों का सही मूल्यांकन नहीं किया। समिति ने मैसर्स टाटा मोटर्स लिमिटेड को 600 बीएस-VI बसों की बोली के लिए पात्र घोषित किया। मैसर्स टाटा मोटर्स लिमिटेड ने 600 बसों के लिए बोली लगाई थी और इसलिए उसकी बोली को खारिज कर दिया जाना चाहिए था। टाटा मोटर्स की अस्वीकृति के बाद, मेसर्स जेबीएम की एक ही बोली होती और इस निविदा की परीक्षा पूरी तरह से अलग स्तर पर होती। हालांकि, आगे यह पाया गया कि डीटीसी ने टाटा की दरों के आधार पर बीएस-IV बसों के लिए बातचीत के लिए मैसर्स जेबीएम को आमंत्रित किया, जिसने इस श्रेणी के लिए कभी कोई बोली नहीं लगाई। डीटीसी की यह कार्रवाई बिना किसी औचित्य के थी और मेसर्स जेबीएम के साथ मूल्य वार्ता जीएफआर और सीवीसी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

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