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एलजी के आदेश से कोरोना रोगियों में डर : दिल्ली सरकार

नई दिल्ली। ऐसे कोरोना रोगी जिन्हें कोई लक्षण अथवा स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है, दिल्ली सरकार उन्हें घर पर ही उपचार देने की पक्षधर है। हालांकि दिल्ली के उपराज्यपाल ने कोरोना के सभी रोगियों को कम से कम 5 दिन आइसोलेशन सेंटर में बिताने के आदेश जारी किए हैं। दिल्ली सरकार का कहना है कि उपराज्यपाल का यह आदेश लोगों को डराने वाला है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “अगर लोगों को यह महसूस होगा कि कोरोना होते ही सरकार क्वॉरंटाइन में उठाकर ले जाएगी तो वह डरेंगे। इसके अलावा जिस स्पीड से कोरोना के मामले आ रहे हैं अगर ऐसे ही तीन चार हजार मामले रोज आते रहे तो इतने लोगों के लिए बेड की व्यवस्था, मेडिकल स्टाफ की व्यवस्था एक बहुत बड़ा चैलेंज होगा।”

सिसोदिया ने कहा, “30 जून तक दिल्ली में एक लाख कोरोना रोगी होंगे। 15 जुलाई तक सवा दो लाख कोरोना रोगी और 31 जुलाई तक साढ़े पांच लाख कोरोना रोगी मिलने का आकलन है। ऐसे में उपराज्यपाल द्वारा जारी किया गया आदेश बदलवाने की जरूरत होगी।”

दिल्ली सरकार ने कहा, “कोरोना के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में हम पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ हैं, लेकिन इस तरह के मनमाने फैसले से दिल्ली को गंभीर नुकसान होगा। एलजी को इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। इस आदेश के बाद हमें तुरंत क्वारंटाइन सेंटरों में हजारों बेड की आवश्यकता होगी।”

इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने सभी चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी हैं। दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए कहा, “चिकित्सा संस्थानों के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और एमडी छुट्टी पर गए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को वापस बुलाएं। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि केवल विशेष परिस्थितियों में ही आवश्यक सेवाओं में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को छुट्टियां प्रदान की जाए।”

दिल्ली सरकार का कहना है कोरोना रोगियों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण सभी अस्पतालों का अपनी पूरी क्षमता में कार्य करना बेहद आवश्यक है। आने वाले दिनों में दिल्ली में कोरोना रोगियों के लिए 80 हजार बेड की आवश्यकता होगी।

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