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Maharashtra: महाराष्ट्र में आज CM शिंदे और उद्धव के बीच फिर होनी है जंग, जो जीता वो कहलाएगा सिकंदर

39 विधायक वाले शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास 39 विधायक हैं। बाकी उद्धव गुट के पास 16 विधायक हैं। इनमें उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी हैं। सबकी नजर इसपर है कि अगर उद्धव गुट के 16 विधायकों ने शिंदे का साथ नहीं दिया, तो क्या कदम उठेगा और बदले में शिवसेना क्या करेगी।

eknath shinde and uddhav thakrey

मुंबई। महाराष्ट्र में आज एकनाथ शिंदे सरकार के लिए बहुत अहम दिन है। आज यहां विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस पद के लिए शिंदे गुट ने बीजेपी के राहुल नार्वेकर को मैदान में उतारा है। वहीं, शिवसेना ने नार्वेकर के खिलाफ राजन साल्वी को प्रत्याशी बनाया है। इस पद पर शिंदे गुट का प्रत्याशी जीता, तो साफ हो जाएगा कि सदन में उसका बहुमत है। हालांकि, बहुमत का परीक्षण कल यानी 4 जुलाई को होना है। कुल मिलाकर शिंदे और उद्धव के गुटों के लिए आज का दिन किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वहीं, बीजेपी के लिए भी शिंदे गुट की जीत जरूरी है।

खास बात ये है कि शिंदे गुट ने संख्याबल के आधार पर खुद को असली शिवसेना घोषित करते हुए भरत गोगावले को अपना व्हिप नियुक्त किया है। वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सुनील प्रभु को व्हिप घोषित किया है। प्रभु ने सभी शिवसेना विधायकों को सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है। वहीं, गोगावले ने भी व्हिप जारी किया है। असल मुश्किल ये फंसने वाली है कि किस गुट का व्हिप विधायक मानें। इस मसले पर भी कोर्ट तक मामला पहुंचने के पूरे आसार दिख रहे हैं। शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास 39 विधायक हैं। बाकी उद्धव गुट के पास 16 विधायक हैं। इनमें उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी हैं। सबकी नजर इसपर है कि अगर उद्धव गुट के 16 विधायकों ने शिंदे का साथ नहीं दिया, तो क्या कदम उठेगा और बदले में शिवसेना क्या करेगी।

महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष के दौरान ही उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था। उनकी जगह अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाया गया था। इस नियुक्ति को विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल ने भी मान्यता दे दी थी। शिंदे गुट ने इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताया था। वहीं, जिरवल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया था कि 16 बागी विधायकों के खिलाफ शिवसेना ने सदस्यता रद्द करने की अर्जी दी है। वहीं, शिंदे गुट का कहना था कि उपाध्यक्ष इस बारे में फैसला नहीं कर सकते, क्योंकि खुद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया हुआ है।

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