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President Election: आखिरकार कांग्रेस भी मान ही गई कि हमारी लुटिया डूब चुकी है, इसलिए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर खड़गे ने कह दी ऐसी बात

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नई दिल्ली। पता ही होगा आपको कि अभी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किस तरह सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला जारी है। आज तो अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, जिसके तहत आगामी 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने का फैसला लिया गया है और आगामी 21 जुलाई को जगजाहिर हो जाएगा कि आखिर देश का अगला राष्ट्रपति कौन होने जा रहा है, लेकिन अभी लोगों के जेहन में इस बात को जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि आखिर बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में किसके नाम पर मुहर लगाई जाती है। अभी इसे लेकर बैठकों का सिलसिला जारी है, लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। बता दें कि इसे लेकर विपक्षी दलों से लेकर सत्तारूढ़ दल में बैठकों का सिलसिला जारी है। आज इसी संदर्भ में ममता बनर्जी ने भी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, लेकिन उसमें भी किसी विशेष उम्मीदवार नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। अब ऐसे में कौन होगा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार? इसे लेकर लोगों के जेहन में आतुरता का सैलाब अपने चरम पर पहुंच चुका है, लेकिन अब इसे लेकर कांग्रेस ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। बता दें कि ममता की बुलाई बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बुलाया गया था, लेकिन अफसोस किसी विशेष नाम पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है। चलिए तो आगे जानते हैं कि कांग्रेस का राष्ट्रपति चुनाव को लेकर क्या रुख है।

जानें, कांग्रेस का क्या है रुख?

बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस अपनी तरफ से किसी विशेष नाम पर सहमति करने हेतु प्रस्ताव नहीं देगी, लेकिन जिस पर विपक्षी दलों के सभी सदस्य एकराय देंगे, कांग्रेस भी उसी पर समर्थन करेगी। खड़गे ने आगे कहा कि, ‘विधानसभा चनाव में हम निश्चित तौर पर एक दूसरे के खिलाफ लड़े हैं, लेकिन अब हम बड़े राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु एकजुट हो चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी दलों के बीच एकता बनी रहे, यह जरूरी है। लेकिन, अब सियासी गलियारों में खड़गे के बयान के निहितार्थों को लेकर बहस का सिलसिला इसलिए शुरू हो चुका है, क्योंकि पहले कभी एक ऐसा भी दौर था, जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उसी के नाम को आगे बढ़ाया जाता था, जिस पर कांग्रेस अंतिम मुहर लगाती थी, यानी की कांग्रेस का फैसला सर्वोपरि माना जाता था।

लेकिन, आज देश की सबसे पुरानी पार्टी की बेबसी देखिए कि उसे यह कहना पड़ रहा है कि विपक्षी दलों के सदस्य जिस पर नाम पर मुहर लगाएंगे, उसी के नाम को बतौर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि आज की तारीख में कांग्रेस का न महज जनाधार कम हुआ है, बल्कि उसके अपने राजनीतिक समकक्षों के बीच दबदबा भी हम हुआ है। आज की तारीख में कांग्रेस का अपना कोई स्टेंड नहीं रह गया है। ध्यान रहे कि इससे पहले ममता बनर्जी द्वारा बैठक हेतु आमंत्रित किए गए नेताओं की सूची में 22वें स्थान पर सोनिया गांधी का नाम होने पर भी सियासी गलियारों में बहस देखने को मिली थी। अब एक बार फिर खड़गे के बयान को लेकर सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। बहरहाल, अब ऐसे  में देखना होगा कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए किसके नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।

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