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Election: दादी जैसी नाक और दलितों का उद्धार, जानिए प्रियंका और मायावती के लिए यूपी में ये फैक्टर कितने फायदेमंद

mayawati and priyanka gandhi

नई दिल्ली। साल 2012 में यूपी विधानसभा का चुनाव था। प्रियंका गांधी रायबरेली में थीं। उनसे पत्रकारों ने हमेशा की तरह एक सवाल पूछा था कि आप विपक्ष के निशाने पर रहती हैं, इस पर क्या कहना है ? प्रियंका ने पलटकर कहा था, “उनसे जाकर पूछिए, क्या मैं चुनाव में उतरूं।” प्रियंका गांधी को शायद लग रहा था कि चुनावी समर में अगर वो देश में उतर गईं, तो कांग्रेस की जीत निश्चित है। इसकी वजह ये है कि प्रियंका में कांग्रेसियों को उनकी दादी और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की छवि दिखती है। पिछले करीब 3 साल से “दादी जैसी नाक” की बात कहकर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी की छवि की खूब मार्केटिंग भी की, लेकिन अब यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले जो सर्वे आ रहे हैं, उनके मुताबिक दादी जैसी नाक की बात कहने से कांग्रेस का भला नहीं होने जा रहा है। यही हालत मायावती की है। दलितों के उद्धार का नारा और ब्राह्मणों को पाले में खींचने का उनका फंडा इस चुनाव में चलता नहीं दिख रहा है।

एबीपी न्यूज और सी-वोटर के चुनाव पूर्व हुए सर्वे में प्रियंका और मायावती के लिए आंखें खोल देने वाला आंकड़ा सामने आया है। इस सर्वे से पता चलता है कि प्रियंका गांधी को यूपी के महज 4 फीसदी वोटर ही सीएम के पद के लिए पसंद करते हैं। दिन पर दिन ये ग्राफ किस तरह गिरा है, ये इसी से समझा जा सकता है कि जब सी-वोटर ने नवंबर 2021 में सर्वे किया था, तो प्रियंका को बतौर सीएम देखने वालों की तादाद 5 फीसदी रही थी। यानी दो महीने गुजरने के साथ उन्होंने 1 फीसदी और वोटरों का समर्थन गंवा दिया है।

अब बात करते हैं मायावती की। एक दौर में उनकी पार्टी ने “तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार” का नारा देकर दलितों के दिल में अपना उद्धार करने वाली पार्टी के तौर पर छवि बनाई। फिर 2007 में “ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी चलता जाएगा” का नारा देकर मायावती यूपी में बीएसपी की सरकार बनाने में सफल रहीं, लेकिन वक्त के साथ अब दलितों का साथ भी उनसे छूटता दिख रहा है। यूपी के महज 14 फीसदी वोटर फिर से मायावती को सीएम बनते देखना चाहते हैं। प्रियंका की तरह मायावती को सीएम देखना चाहने वालों की तादाद भी पिछले 2 महीने में घटी है। जहां नवंबर 2021 में 16 फीसदी वोटर मायावती को सीएम देखना चाहते थे। वहीं, ये आंकड़ा दिसंबर 2021 में घटकर 15 फीसदी और अब 14 फीसदी पर आ गया है।

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