नई दिल्ली। कश्मीर नीति को लेकर भारत सरकार आखिर कितनी सफल रही है, उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में हिंसा और आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में भारी कमी देखी जा रही है। बता दें कि घाटी में 15 नवंबर 2020 तक जम्मू-कश्मीर में साल 2019 की इसी अवधि की तुलना करें तो गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार आतंकवादी घटनाओं की संख्या 63.93 प्रतिशत घट गई। मंत्रालय का कहना है कि नवंबर 2019 की तुलना में नवंबर 2020 में विशेष बल कर्मियों के शहीद होने की संख्या में 29.11 प्रतिशत और नागरिकों के घायल होने की संख्या में 14.28 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-A के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। जिसमें एक जम्मू और कश्मीर और दूसरा लद्दाख बनाया गया।
गृह मंत्रालय ने अनुच्छेद 370 और 35 A के निरस्त होने के बाद कई कानूनों में संशोधन किए तो कई रद्द कर दिए तो वहीं कई नए कानून लागू कर दिए। वार्षिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य कानूनों को अपनाना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मामले में 48 केंद्रीय कानूनों और 167 राज्य कानूनों को लागू करने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। वहीं, लद्दाख में 44 केंद्रीय कानूनों और 148 राज्य कानूनों के लागू करने के आदेश दिए गए। केंद्र सरकार ने 31 मार्च को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (राज्य कानून का अनुकूलन) आदेश, 2020 जारी कर किया था। यह जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 75 के से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करता है।
गृह मंत्रालय ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें बताया गया है कि जम्मू और कश्मीर में छंब से विस्थापित 36,384 विस्थापित परिवारों को प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत प्रति परिवार 5.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई। इसके अलावा साथ जम्मू कश्मीर में पश्चिम पाकिस्तान शरणार्थियों (WPR) के 5,764 परिवारों के लिए 5.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से एक बार की वित्तीय सहायता भी बराबर दी जा रही है।