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Rajasthan: हनुमान जी की मूर्ति पर शरारती तत्वों ने उर्दू  में लिखी पर्ची चिपकाई, अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ मामला

नई दिल्ली। यूं तो खबरों की इस कायनात में बेशुमार खबरों की आमद जारी रहती है, जिसमें से कुछ खबरें हैरान करने वाली होती हैं, तो कुछ परेशान करने वाली, तो कुछ हमारी संवेदनाओं को झकझोर देने वाली, तो कुछ असामाजिक तत्वों की भावनाओं  से ओतप्रोत होती हैं। इसी कड़ी में आज अपनी इस खास रिपोर्ट में हम आपको एक ऐसी ही खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं जिससे रूबरू होने के बाद  आपके जेहन में सवालों के बयार बहने लगेंगे। सवाल इस बात को लेकर कि आखिर ऐसा कुकृत्य करने के पीछे कौन शामिल था। आखिर अब तक पुलिस ने इस पूरे मामले में क्या कुछ कार्रवाई की है। आखिर कोई शख्स अपने इस कुकृत्य के जरिए क्या साबित करना चाहता है, तो चलिए अब हम आपको भूमिकाओं में ज्यादा न उलझाते हुए सीधा मुद्दे की बात पर लाते हैं और बताते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है।

तो हैरान और परेशान कर देने वाला यह पूरा मामला राजस्थान के कोटा से सामने आया है, जहां पर हनुमान जी की प्रतिमा पर उर्दू में कुछ लिख दिया गया है। अब हनुमान जी की प्रतिमा पर लिखे उर्दू के इन अल्फाजों के क्या मायने हैं, यह कह पाना तो फिलहाल मुश्किल है, लेकिन इतना साफ है कि शरारती तत्वों ने अपने इन कुकृत्यों के जरिए यह जरूर साफ कर दिया है कि वे समाज में लोगों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने के लिए किसी भी हदों को पार करने पर आमादा हो सकते हैं। उन्हें इससे कोई एतराज नहीं है। बहरहाल, पुलिस प्रशासन की तरफ से मामले की जांच शुरू की जा चुकी है। अब इंतजार है, तो उस शख्स को चिन्हित किए जाने का है, जिसने इस नापाक करतूत को अंजाम दिया है। बता दें कि इस पूरे मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें आपको हनुमान जी की प्रतिमा पर उर्दू में लिखे कुछ अल्फाज मिल जाएंगे।

यहां गौर करने वाली बात है कि यह सब कुछ हिंदुस्तान के उस सूबे में घटित हुआ है, जहां गहलोत सरकार का शासन है। ध्यान देने वाली बात है कि गहलोत राज में लगातार हिंदुओं की आस्था को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन सरकार की खामोशी यहां बयां करने के लिए काफी है कि मौजूदा शासन में हिंदुओं की आस्था खतरे में है। बीते दिनों में अलवर जिले में 300 साल पुराने शिव मंदिर को भी अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन की तरफ से ध्वस्त कर दिया गया था, जबकि मस्जिद को छोड़ दिया गया था। जिसे लेकर गहलोत सरकार को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा था। वहीं, चौतरफा आलोचनाओं से घिरने के उपरांत सीएम गहलोत ने यूटर्न लेते हुए कहा कि जिस जगह पर मंदिर को ध्वस्त किया गया है, वहां मंदिर का निर्माण किया जाएगा। बहरहाल, अब सरकार अपने बचाव में कितने भी तर्क क्यों न प्रस्तुत कर लें, लेकिन इतना तो जरूर साफ हो चुका है कि राजस्थान की गहलोत  सरकार हिंदुओं की आस्था को लेकर कतई संवेदनशील नहीं है और रही बात राजनीति की अब इन्हें मतदाताओं को रिझाने की दिशा में तुष्टिकरण की राजनीति करने से भी कोई गुरेज नहीं रह गया है।

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