मुंबई। अब तक उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है, लेकिन अब महाराष्ट्र में दोनों की हालत खस्ता है और शायद यही वजह है कि राज ठाकरे अब सारे मतभेद भुलाकर उद्धव ठाकरे के साथ हाथ मिला सकते हैं। फिल्म डायरेक्टर महेश मांजरेकर के साथ एक पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने कहा है कि उद्धव के साथ उनके सियासी मतभेद हो सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के हित में एक होने के लिए वो तैयार हैं।
बालासाहेब ठाकरे के दौर में ही माना जाता था कि उनके बाद राज ठाकरे शिवसेना की कमान संभालेंगे। इसकी वजह राज ठाकरे का व्यवहार रहा, लेकिन उद्धव ठाकरे के कारण राज ठाकरे ने अलग होना तय किया और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) नाम से नई पार्टी बनाई। राज ठाकरे कभी अपने दम और कभी बीजेपी के साथ आकर चुनाव लड़ते रहे, लेकिन शिवसेना जैसी पहचान नहीं बना सके। उनकी पहचान उत्तर भारतीयों के खिलाफ बयानबाजी और एमएनएस कार्यकर्ताओं के हमलों के कारण ही ज्यादा रही। वहीं, उद्धव ठाकरे जब तक बीजेपी के साथ रहे, तब तक शिवसेना चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती रही।
कांग्रेस और शरद पवार का साथ लेकर उद्धव ने बीजेपी का दामन छोड़ा और सरकार बना ली, लेकिन एकनाथ शिंदे ने जब बगावत कर शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिन्ह तीर-कमान अपने कब्जे में कर लिया, तो उद्धव ठाकरे के गुट की स्थिति पतली हुई। नतीजा ये हुआ कि महाराष्ट्र में जब पिछले विधानसभा चुनाव हुए, तो उद्धव की पार्टी सिर्फ 20 सीट ही पा सकी। जबकि, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने 57 सीटें हासिल कर लीं। वहीं, राज ठाकरे को देखें, तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उनके बेटे अमित ठाकरे तक जीत नहीं सके। ऐसे में राज ठाकरे को शायद ये ख्याल आ गया कि अपने दम पर महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ हासिल कर पाना संभव नहीं है। उद्धव ठाकरे भी अपने गुट की दशा देख ही रहे हैं। ऐसे में अगर एक बार फिर दोनों भाई साथ आते हैं, तो कोई अचरज की बात नहीं होगी। बस देखना ये है कि उद्धव अगर राज ठाकरे को साथ लेते हैं, तो एमएनएस का अस्तित्व रहता है या नहीं।