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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे मुस्लिम संगठन, AIMPLB की मीटिंग के बाद अब जमीयत करेगा जलसा

jamiyat ulema e hind main

नई दिल्ली। गुजरात, उत्तराखंड समेत कई बीजेपी शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता UCC लागू होने के आसार देखते हुए मुस्लिम संगठन विरोध की रणनीति बना रहे हैं। दो दिन पहले लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB ने बैठक कर इस बारे में चर्चा की थी। अब मुस्लिम धर्मगुरुओं के संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिए बड़ा जलसा करने का फैसला किया है। जमीयत का ये जलसा दिल्ली के रामलीला मैदान में 11 और 12 फरवरी को होगा। जलसे में जमीयत से जुड़े उलमा समान नागरिक संहिता और मदरसों की स्वायत्तता समेत कई मुद्दों पर फैसला करेंगे।

दरअसल, मुस्लिम संगठन एकराय से समान नागरिक संहिता के विरोध में हैं। वे इसे इस्लाम के खिलाफ बता रहे हैं। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि संविधान में सभी धर्मों को मानने की छूट है। कोई भी अपने धर्म के पहलुओं को मान सकता है। ऐसे में समान नागरिक संहिता संविधान के तहत मिली इसी आजादी का उल्लंघन भी करता है। वहीं, हिंदूवादी संगठन और बीजेपी के एजेंडे में समान नागरिक संहिता लंबे अर्से से है। बीजेपी से जुड़े वकील अश्विनी उपाध्याय ने समान नागरिक संहिता को लागू कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दे रखी है। इस पर मार्च के महीने में सुनवाई हो सकती है।

एक तरफ मुस्लिम संगठन समान नागरिक संहिता को संविधान के खिलाफ बता रहा है, लेकिन संविधान के नीति निर्देशक तत्व में इसे लागू करने की बात कही गई है। समान नागरिक संहिता लागू होने से प्रॉपर्टी का बंटवारा, सभी धर्मों के लिए तमाम कानून एक होने जैसी स्थिति बनेगी। जबकि, मुस्लिम संगठन का कहना है कि ये उनके पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप जैसा होगा। फिलहाल भारत में सिर्फ गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है। ये गोवा पर पुर्तगाल के शासन के दौरान लागू किया गया था।

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