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Muslim Population In India Increases: 65 साल में भारत में 43 फीसदी बढ़ी है मुस्लिमों की आबादी जबकि हिंदुओं की संख्या घटी, जानिए अन्य समुदायों का हाल

Muslim Population In India Increases: 65 साल में भारत की आबादी में किस समुदाय की कितनी हिस्सेदारी हुई है, इसका आंकड़ा सामने आया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार काउंसिल यानी ईएसपीपीएम ने अपने वर्किंग पेपर में इसका जिक्र किया है। तो जानिए आबादी में समुदायों का कितना हिस्सा है।

नई दिल्ली। 65 साल में भारत की आबादी में किस समुदाय की कितनी हिस्सेदारी हुई है, इसका आंकड़ा सामने आया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार काउंसिल यानी ईएसपीपीएम ने अपने वर्किंग पेपर में इसका जिक्र किया है। काउंसिल के वर्किंग पेपर के अनुसार साल 1950 से 2015 तक भारत में मुस्लिमों की आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस पेपर में ये भी बताया गया है कि इसी दौरान भारत में धार्मिक बहुसंख्यक यानी हिंदुओं की आबादी में 7.81 फीसदी की गिरावट आई है। वर्किंग पेपर के अनुसार साल 1950 में भारत में मुस्लिमों की आबादी 9.84 फीसदी थी। जो बढ़कर 14.09 फीसदी हुआ है। वहीं, हिंदुओं की आबादी 84.68 फीसदी से घटकर 78.06 फीसदी हो गई है।

वर्किंग पेपर में दिए आंकड़ों के हिसाब से भारत में मुस्लिमों के अलावा ईसाई, बौद्ध और सिख समुदाय की आबादी भी बढ़ी है। जबकि, जैन और पारसी समुदाय की आबादी घटी है। आंकड़ों में बताया गया है कि 1950 में भारत में 2.24 फीसदी ईसाई थे। अब उनका प्रतिशत बढ़कर 2.36 हो गया है। वहीं, सिखों की आबादी 1.24 फीसदी से बढ़कर 1.85 फीसदी हुई है। बात बौद्धों की करें, तो भारत में 65 साल के दौरान उनकी आबादी 0.05 फीसदी से बढ़कर 0.81 फीसदी हो चुकी है।

इस वर्किंग पेपर में बताया गया है कि जैन समुदाय की आबादी 1950 में 0.45 फीसदी थी। ये 2015 में घटकर 0.36 फीसदी हो गई। जबकि, पारसी समाज की आबादी 0.03 से 85 फीसदी गिरकर 0.004 फीसदी हुई है। इससे साफ है कि भारत में मूल अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या अच्छी तरह बढ़ रही है। जबकि, भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश वगैरा में बहुसंख्यक यानी हिंदू लगातार कम होते जा रहे हैं। ऐसे में जो लोग ये कहते हैं कि भारत में मुस्लिम समुदाय काफी संकट में है, उनका दावा भी पूरी तरह गलत साबित हो रहा है।

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