नई दिल्ली। एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान संबंधी किताब में अयोध्या वाला पाठ छोटा कर दिया है। इसके अलावा इस पाठ से बाबरी मस्जिद का नाम भी हटाया गया है। बाबरी मस्जिद की जगह 12वीं के छात्रों के लिए एनसीईआरटी की किताब में तीन गुंबद वाला ढांचा लिखा गया है। पहले एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में अयोध्या पर 4 पेज का पाठ था। इसे अब 2 पेज का कर दिया गया है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में अयोध्या पर जो पाठ अब एनसीईआरटी ने रखा है, उसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा, कारसेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद हुई हिंसा, कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन और बीजेपी की तरफ से बाबरी ढांचे को गिराए जाने पर खेद प्रकट करने की जानकारी दी गई है। एनसीईआरटी ने अपनी पहले चलने वाली किताब में बताया था कि अयोध्या में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 16वीं सदी में बाबरी मस्जिद बनवाई थी। अब किताब में बताया गया है कि साल 1528 में अयोध्या स्थित श्रीराम के जन्मस्थान पर 3 गुंबद वाला ढांचा बना दिया गया।
किताब में लिखा गया है कि इस ढांचे में कई हिंदू चिन्ह बने थे। इसके अलावा बताया गया है कि 3 गुंबद वाले ढांचे के भीतरी और बाहरी हिस्से में कई मूर्तियां बनी थीं। एनसीईआरटी की नई किताब में ये भी लिखा गया है कि अयोध्या के मामले में हिंदू समुदाय को लग रहा था कि उसकी आस्था से खिलवाड़ हो रहा है। नई किताब के अयोध्या वाले पाठ में 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी जगह मिली है। 2014 के बाद एनसीईआरटी ने चौथी बार 12वीं की किताबों में बदलाव किया है। पहले इतिहास की किताब में उसने कई बदलाव किए थे। अब अयोध्या पर ताजा बदलाव से सियासत के फिर गर्माने के आसार बन सकते हैं।