नई दिल्ली। आज संसद में 4 अहम बिल पेश होने के पूरे आसार हैं। गृहमंत्री अमित शाह आज संसद में आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव के लिए आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य एक्ट के पुराने कानूनों की जगह नए बिल पेश कर सकते हैं। वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की तरफ से राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी बिल पेश किया जाएगा। इस बिल से मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाने का प्रावधान है। विपक्ष इन चारों ही बिल का विरोध कर रहा है। बात करें, आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव के बिलों की, तो संसद के पिछले मॉनसून सत्र में अमित शाह ने आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और साक्ष्य एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य बिल 2023 पेश किया था।
इन तीनों ही बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर है कि स्थायी समिति ने इन तीनों ही बिल में कुछ संशोधन के लिए कहा है। इन संशोधनों को करने के बाद ही अब अमित शाह संसद में भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल और भारतीय साक्ष्य बिल पेश करने वाले हैं। इन तीनों ही बिल को आज संसद में पेश कर चर्चा कराई जा सकती है। हालांकि, ये तीनों ही बिल अगर संसद से पास भी होते हैं, तो उसके बाद भी इनको लागू कराने के लिए 50 फीसदी राज्यों की मंजूरी भी मोदी सरकार को लेनी होगी। देश के कई राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं। ऐसे में ये सरकार को हर राज्य सरकार से बात कर बिल के पक्ष में उसे लाना पड़ेगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य एक्ट के बदले जो तीन बिल पेश किए थे, उसके लिए तब उन्होंने तमाम नई बातें बताई थीं। इन बिलों के पास होने पर कोर्ट से जल्दी अपराधियों को सजा मिल सकेगी। लव जेहाद जैसे मामलों के लिए भी सजा का प्रावधान होगा। इसके अलावा न्याय हासिल करने में बिल्कुल देरी न लगने से कोर्ट में लंबित मामले भी जल्दी ही निपट जाएंगे। साथ ही अमित शाह ने बताया था कि इन कानूनों के जरिए देशद्रोह की धारा भी खत्म हो जाएगी। बता दें कि आईपीसी और सीआरपीसी को अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था, लेकिन अब अपराध भी अलग किस्म के होने लगे हैं और इससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना होता है।