News Room Post

KVS: सेंट्रल स्कूलों में अब MP और DM कोटे से नहीं हो सकेगा एडमीशन, केवीएस ने लगाई रोक

नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में अपने बच्चों का एडमिशन सांसद या जिलाधिकारियों को मिलने वाले विवेकाधीन कोटे से कराने की इच्छा रखने वालों के लिए बुरी खबर है। केन्द्रीय विद्यालय संगठन (kvs) ने सांसदों समेत विवेकाधीन कोटे के अन्तर्गत होने वाले सभी दाखिलों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके लिए सभी केन्द्रीय विद्यालयों को चिट्ठी भेज दी गई है। इस चिट्ठी के अनुसार, सभी आरक्षणों की समीक्षा करने के बाद उसे स्थगित किया गया है। ये फैसला तब लिया गया, जब पिछले हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या फिर इसे पूरी तरह से खत्म करने की मांग रखी। इस मुद्दे को लेकर तभी से सियासी चर्चा शुरू हो गई थी। वहीं कई सांसदों ने मनीष का समर्थन करते हुए इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की, तो कुछ सांसदों ने इसकी सीटों को बढ़ाने की मांग रखी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस विषय पर सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था। इस बारे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना था कि इस बात का निर्णय सदन मिलकर लेगी कि सांसद कोटे को बढ़ाना चाहिए या इसे खत्म कर देना चाहिए।

केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा क्या है?

साल 1975 के दौरान केंद्र सरकार ने KVS में विशेष योजना के तहत सांसद कोटा का निर्धारण किया था, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या तय की गई थी। इसका उद्देश्य ये था कि इसके माध्यम से जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के प्रमुख और जरूरतमंद लोगों को शिक्षा की सुविधा मुहैया करा सकें। सांसद, एक कूपन और छात्र, जिसका प्रवेश कराना होता है, उसकी पूरी जानकारी, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विद्यालय संगठन को भेजते हैं। इसके बाद संगठन अपने ऑफिशियल वेबसाइट पर शॉर्टलिस्ट किए गए छात्रों के नाम की सूची जारी करता है, और इसके बाद छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया शुरू होती है। हालांकि, ये सुविधा केवल पहली से नौवीं कक्षा तक के छात्रों पर ही लागू होती है। सांसदों के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी 450 छात्रों को प्रवेश दिलाने का कोटा प्रदान किया गया है।

Exit mobile version