News Room Post

Uttar Pradesh: योगी सरकार द्वारा शुरू की गई ODOP कार्यक्रम त्यौहारी सीजन में सुपरहिट, माटीकला के हुनरमंदों की बल्ले-बल्ले

Yogi Adityanath

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल में भी उत्तर प्रदेश की जनता के रोजगार को लेकर और खासकर यहां के जिलों के विशेष उत्पादों को इंटरनेशनल बाजारों तक पहुंच बनाने के लिए ढेर सारे प्रयास किए। इसी में से एक ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) था। जो इस दिवाली हिट रहा वहीं इस वर्चुअल मेले में माटीकला के हुनरमंदों की कृति सुपरहिट रही। सरकार (माटीकला बोर्ड) से प्रशिक्षण, उन्नत टूल किट, पग मिल, आधुनिक भट्ठी, इलेक्ट्रिक चॉक, स्प्रे मशीन आदि के रूप में मिले प्रोत्साहन के चलते हुनरमंद हाथों ने मिट्टी को लक्ष्मी, गणेश, डिजानइनर दीयों और अन्य उत्पादों के रूप में जीवंत कर दिया। वोकल फॉर लोकल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और एक जिला, एक उत्पाद और माटी कला को प्रोत्साहन देने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार निर्देशों का खासा असर देखने को मिला।

देश के किसी भी प्रदेश में पहली बार ओडीओपी उत्पादों के लिए वर्चुअल मेले का आयोजन हुआ। इसमें सभी जिलों के उत्पादों के 572 स्टॉल लगे थे। 35 देशों ने इसमें भाग लिया। 57000 लोगों ने उत्पादों के खरीद में रुचि दिखाई। भदोही के कालीन के अलावा चिकनकारी, पीतल, रेशम, चमड़े और लकड़ी के नक्काशीदार कामों की सर्वाधिक पूछ रही।

प्रदेश में इस बार दीपावाली पर मिट्टी के बने उत्पादों की धूम रही। माटी कला बोर्ड द्वारा पहली बार लखनऊ के खादी भवन (डॉलीबाग) के परिसर में 10 दिवसीय माटी कला मेले का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 40 से 50 लाख रुपये के मिट्टी के लक्ष्मी, गणेश, दीये और अन्य उत्पाद बिके। इसके अलावा अन्य स्थानों पर अलग से मिट्टी के उत्पादों की बिक्री की गई। गोरखपुर के मिट्टी के कारोबारियों के अनुसार वहां एक करोड़ रुपये से अधिक के मिट्टी के उत्पादों की बिक्री हुई है। स्वाभाविक है कि अन्य महानगरों, शहरों और कस्बों में भी ऐसा ही हुआ। मुख्यमंत्री द्वारा माटी कला मेले में आए कलाकारों के बचे सामानों को खरीदने का भी बहुत अच्छा संदेश गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पहली बार मिट्टी के उत्पाद बनाने वालों शिल्पकारों और मूर्तिकारों के हित में माटीकला बोर्ड का गठन किया है। बोर्ड पास के तालाबों से आसानी से मिट्टी उपलब्ध करवाने से लेकर उत्पादों को दाम और गुणवत्ता में बाजार के प्रतिस्पर्द्धी बनाने में मदद करता है। इसके लिए जाने-माने मूर्तिकारों और निफ्ड से प्रशिक्षण दिलाने, साइज और डिमांड के अनुसार दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तिर्यों का मॉडल तैयार कराने और उसके अनुसार बेहतरीन सांचे उपलब्ध करवाने का काम भी करता है। बोर्ड की मेहनत का नतीजा इस बार सबके सामने है। यह दीवाली काफी हद तक देशी वाली रही। आगे यह पूरी तरह देशी होने की संभावना है।

अपर मुख्य सचिव एमएसएमई डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि ओडीओपी उत्पादों के वर्चुअल फेयर और माटी कला मेले से इन उत्पादों की ब्रांडिंग हुई है। इनसे जुड़े हर वर्ग को लाभ हुआ। गुणवत्ता सुधार और ब्रांडिंग पर अभी और काम किया जाएगा।

Exit mobile version