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Parliament Session: रोज हंगामे की वजह से ठप हो रही संसद की कार्यवाही, जानिए आम जनता के धन का कितना हो रहा नुकसान

opposition protest on manipur

नई दिल्ली। हर बार की तरह इस बार भी संसद में कामकाज ठप हो रहा है। विपक्ष ने इस बार मणिपुर में हिंसा का मुद्दा उठाया है और पीएम नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं। मोदी से बयान दिलाने के लिए विपक्षी दलों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव भी दिया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए मंजूर भी कर दिया है। इसके बाद भी विपक्षी दल के सांसद विरोध जता रहे हैं। नतीजे में आज भी लोकसभा में कामकाज नहीं हो पा रहा है। हालांकि, राज्यसभा में हर रोज कुछ घंटे कामकाज हो रहा है। वहीं संसद के ठीक से न चलने की वजह से आम लोगों की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए बर्बाद हो रहे हैं।

साल 2021 और 2022 के मॉनसून सत्र भी ठीक से नहीं चल सके थे। तब भी अलग-अलग मुद्दों पर विपक्षी दलों ने हंगामा बरपाया था। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। अब आपको बताते हैं कि संसद में आखिर कितना कामकाज होना चाहिए और लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही न चलने पर देश को कितना नुकसान उठाना होता है। हर साल संसद के तीन सत्र होते हैं। पहला बजट सत्र, दूसरा मॉनसून सत्र और तीसरा शीतकालीन सत्र। नियम के मुताबिक इन तीनों सत्रों में कम से कम 80 दिन तक संसद चलनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।

अगर संसद न चले, तो हर सत्र में करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है। साल 2012 में उस वक्त के संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल ने बताया था कि उस वक्त संसद के हर मिनट के कामकाज पर 2.5 लाख रुपए खर्च होते थे। ऐसे में अब महंगाई के बढ़ जाने और सांसदों के वेतन और भत्तों में भी बढ़ोतरी से ये खर्च और ज्यादा हो गया है। हालांकि, संसद न चलने पर बहिष्कार करने वाले सांसदों को भत्ता नहीं मिलता है। अगर साल 2022 की ही बात करें, तो उस साल भी मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में पहले 10 दिन 25 फीसदी कामकाज नहीं हो सका था। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस टैक्स के तौर पर आप सरकार को धन देते हैं, उसमें से कितना पैसा संसद की कार्यवाही बाधित होने की वजह से बर्बाद हो रहा है।

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