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Maharashtra: PM मोदी ने मेट्रो रेल का किया उद्घाटन, लोगों से की बातचीत, पूर्व की सरकारों पर भी साधा निशाना

नई दिल्ली। जन के साथ संवाद यानी की जनसंवाद की खूबी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अन्य राजनेताओं से अलग पहचान दिलाती है। हर जलसे में पीएम मोदी ने जनता के साथ अपने संवाद के तार स्थापित करके सियासी मोर्चे पर अपनी जमीन को काफी फलवंत बनाया है, जिसकी काट अभी तक उनके किसी भी राजनीतिक प्रतिरोधक के पास नहीं है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुछ ऐसा ही अवतार मुंबई में मेटो रेल के दो नई लाइनों का उद्घाटन के दौरान दिखा। बता दें कि पीएम मोदी ने दो नई मेट्रो लाइनों का उद्घाटन किया। इस बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे भी उनके साथ दिखें। पीएम मोदी ने सीएम शिंदे के साथ मेट्रो में सफर भी किया। इस बीच उन्होंने कई लोगों के साथ संवाद किया। आम यात्रियों से लेकर कर्मी और युवाओं के संग भी सफर के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।

पूर्व की सरकारों पर भी साधा निशाना

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व की सरकारों पर भी निशाना साधा । उन्होंने कहा कि आज की तारीख में भारत विकास की नई इबारतें लिख रहा है, नहीं तो पहले गरीबी, बदहाली और बेबसी लाचारी में ही पूरा जीवन जीने को लेकर लोग मजबूर थे। पहले लोग समझौते के साथ जिंदगी जीते थे, लेकिन आज लोग खुलकर अपनी जिंदगी जी रहे हैं। पहले हमें मदद के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था, लेकिन आज भारत अन्य देशों की मदद कर रहा है।

उद्धव ठाकरे को भी लिया निशाने पर

बता दें कि प्रधानमंत्री ने इस बीच बिना नाम लिए उद्धव सरकार को भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ समय तक प्रदेश का विकास रूक गया था, लेकिन एकनाथ शिंदे की अगुवाई प्रदेश के विकास की रफ्तार तेज हो रही है, जिसे लेकर सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एकनाथ शिंदे सरकार ने मेट्रो परिवहन सेवाओं को विस्तारित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।

बता दें कि विगत वर्ष प्रदेश में राजनीतिक घमासान के बाद उद्धव सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी। शिंदे की अगुवाई में कई शिवसैनिकों ने उद्धव सरकार के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर लिया था। जिसके बाद तत्कालीन उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई थी। बाद में सीएम उद्धव को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, इस बीच उद्धव गुट की तरफ से सीएम शिंदे गुट के बागी विधायकों की समाइश की कवायद जारी रही। लेकिन, शिंदे गुट नहीं माना। जिसका नतीजा यह हुआ कि सीएम उद्धव को इस्तीफा देना पड़ा और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए।

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