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Premanand Maharaj Taught Rakesh Tikait : प्रेमानंद महाराज ने किसान नेता राकेश टिकैत को दिया ऐसा ‘ज्ञान’, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो

नई दिल्ली। वृंदावन में निवास करने वाले संत श्री हित प्रेमानंद जी महाराज के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं जिसमें वो लोगों को भक्ति और ज्ञान की बातें बताते हैं। हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत भी प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान प्रेमानंद महाराज ने राकेश टिकैत को बातों-बातों में कुछ ऐसा ‘ज्ञान’ दिया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रेमानंद महाराज ने राकेश टिकैत से कहा कि हमारे देश के किसान बहुत भोले भाले हैं। हम किसान के घर में पैदा हुए हैं इसलिए सब जानते हैं। किसानों के पक्ष में खड़े होकर सरकार से सुविधा दिलाना बहुत उत्तम काम है लेकिन इसमें स्वार्थ की गंध नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भले ही कोई 50 लाख रुपए कमाता हो लेकिन वो खाएगा तो दाल- रोटी ही, रुपया नहीं खाएगा और अन्न उगाता है किसान इसलिए अगर किसान की समस्या का हल बहुत जरूरी है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”hi” dir=”ltr”>संतों की बात कहने का तरीक़ा ही कमाल है <br><br>अब यहीं देख लीजिए राकेश टिकैत को आशीर्वाद तो दिया लेकिन इतना टाइट किया इतना टाइट किया के अगली बार आशीर्वाद लेने मुश्किल ही आयेंगे……🤣 <a href=”https://t.co/ZShzAzGNYI”>pic.twitter.com/ZShzAzGNYI</a></p>&mdash; Shivam Tyagi (Modi Ka Parivar) (@ShivamSanghi12) <a href=”https://twitter.com/ShivamSanghi12/status/1815761078694916572?ref_src=twsrc%5Etfw”>July 23, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि फसल नष्ट हो गई तो मानो किसान नष्ट हो गया। कितनी मेहनत करके वो अपनी फसल तैयार करता है और कई बार प्राकृतिक तथा कई प्रकार की समस्याओं के चलते उसे परेशानी से जूझना पड़ता है। स्वार्थ में कपट होता है, हम बात आपकी प्रियता की कर रहे हैं लेकिन उसमें मेरे स्वार्थ की पूर्ति की बात है तो उसमें परमार्थ नहीं रहेगा और अगर हम परमार्थ के भाव से दूसरे के हित के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं तो इस लोक और परलोक हर जगह मंगल होगा ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।‘ इसलिए परमार्थ की भावना से युक्त होकर किसानों की समस्याओं में सब एक साथ खड़े होकर सहयोग दें। बहुत से किसान असमर्थ होकर शरीर त्याग देते हैं क्यों कि उनकी पहुंच नहीं होती और उनकी कोई सुनता नहीं है।

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