नई दिल्ली। अभी हम आपको जो खबर बताने जा रहे हैं, उससे अवगत होने के बाद आप यही कहेंगे कि आखिर विपक्षी कुनबों के नेताओं को क्या हो गया है कि वो विदेशी धरा से भारत की आलोचना करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। आखिर क्यों ये लोग आलोचना के नाम पर विश्व फलक पर देश को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। आखिर क्यों ये लोग विश्व फलक पर भारत के संदर्भ में आलोचनात्मक तथ्यों को पेश कर रहे हैं। आखिर क्यों ये लोग भारत की दुश्वारियों को विश्व बिरादरी के समक्ष पेश कर रहे हैं ।आखिर ये लोग ऐसा करके क्या साबित करना चाहते हैं। चलिए, एक पल के लिए ये मान भी लेते हैं कि विपक्षी कुनबे का हिस्सा होने के नाते आपको सरकार की आलोचना करने का संविधान की ओर से नैतिक अधिकार दिया गया है, तो ये आलोचना आप भारत में रहकर कीजिए ना, किसने रोका है? भारत का संविधान तो आपको बाकायदा अभिव्यक्ति की आजादी देता है कि आप किसी भी मसले पर खुलकर बोलिए और सरकार की घेराबंदी कीजिए, लेकिन आप जिस तरह से विदेश जाते हैं और भारत की खामियों को वहां की जनता के बीच साझा करते हैं, ऐसा करके क्या आप उन देशों से रहम की भीख नहीं मांग रहे हैं, जहां आज भारत को सम्मान की दृष्टि देखा जाता है।
जरा याद कीजिए, उस लम्हें को जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को बॉस बताया था। जरा याद कीजिए, उस लम्हें को जब हिरोशिमा में आयोजित जी-7 सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन प्रोटोकॉल की परवाह किए बगैर पीएम मोदी से ना महज मिले, बल्कि उन्हें गले भी लगाया। चलिए, अगर इन दृश्यों को भी आप मानने से इनकार करते हैं, तो जरा न्यू पापुआ गिनी के प्रधानमंत्री द्वारा पीएम मोदी के सम्मान में चरणस्पर्श करने को आप क्या कहेंगे। हुजूर, अब तो आप समझ जाइए, विश्व मंच पर आज भारत की छवि बदल रही है, मेहरबानी करके विपक्ष की आड़ लेकर इसे धूमिल ना करे। पिछले कुछ दिनों से विदेशी धरा से केंद्र सरकार की घेराबंदी की प्रथा शुरू हुई है, वह यकीनन चिंताजनक है। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि इसकी शुरुआत सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने की थी। पहले वो ब्रिटेन में भारत के लोकतंत्र को खतरे में बताते हैं और इसके बाद कर्नाटक में भारी मतों से उनकी पार्टी विजयी पताका फहरा जाती है।
अब उनसे पूछना बनता है कि जब भारत में लोकतंत्र खतरे में है , तो आप कर्नाटक का सियासी रण कैसे जीत गए। इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है। बीते दिनों अमेरिकी दौरे के दौरान राहुल ने यही किया। जमकर मोदी सरकार की आलोचना की। वहीं, आगामी 21 जून को पीएम मोदी भी अमेरिकी दौरे पर रहेंगे। लगातार अमेरिकी बयान जारी कर रहे हैं कि हम पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए आतुर हैं, ये विश्व फलक पर भारत की बढ़ती शान का कसीदा नहीं तो और क्या है, लेकिन विपक्षी लगातार अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ लेकर विश्व फलक पर भारत की विराट छवि को कमतर बताने की कोशिश कर रही है।
“35 crore people sleep hungry in India, the situation in India is worse than Srilanka – Atishi Marlena in London”.
What else can we expect from someone whose parents have written mercy petition for a terr0rist like Afzal Guru.. pic.twitter.com/asyki7VZd0
— Mr Sinha (@MrSinha_) June 16, 2023
अब राहुल के बाद आप नेता आतिशी ने भी यही राह पकड़ ली है। उन्होंने विपक्षी नेता की आड़ लेकर भारत की बदहाली को लंदन में पेश किया। ऐसी सूरत में जहां आज देश में चौतरफा विकास की बयार बह रही है, तो वहीं दूसरी तरफ महज अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए आतिशी ने कहा कि, ’35 करोड़ लोग आज भी भारत में भूखे पेट सोने पर बाध्य हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहने से गुरेज नहीं किया है कि आज की तारीख में भारत की हालत श्रीलंका भी ज्यादा बदहाल है। अब जरा आतिशी से यह पूछा जाना चाहिए कि उनके पास इन जानकारियों का स्रोत क्या है? यही नहीं, आप नेता ने लंदन में अपने संबोधन में उन सभी दावों को झूठा बताया जिसमें अक्सर कहा जाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है।
यही नहीं, बीते दिनों यह भी खबर आई थी कि भारत की अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन को भी पछाड़ दिया। इन सभी खबरों को आप नेता आतिशी सच नहीं मानती है। उनके मुताबिक, यह सबकुछ सिर्फ और सिर्फ एक प्रोपोगेंडा है, जो कि विश्व समुदाय के बीच लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए तैयार किया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि आज भी लोग भारत में बदहाल हैं। आतिशी के बयानों से साफ जाहिर हो रहा है कि वो राहुल गांधी से भी दो कदम आगे निकल गई। राहुल तो सिर्फ भारत में संवैधानिक मूल्यों को ही खतरे में बताते हैं, लेकिन इन्होंने तो लोगों को खतरे में बता दिया। यही नहीं, आतिशाी ने अपने संबोधन में कई पड़ोसी मुल्कों की हालत भारत की तुलना में बेहतर बताई। शुक्र है, उन्होंने पाकिस्तान को हिंदुस्तान की तुलना में बेहतर नहीं बताया , अन्यथा दूसरा बवाल ही पैदा हो जाता। हालांकि, उन्होंने बांग्लादेश को भारत से बेहतर बताया है।
आप नेता ने कहा कि ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत की स्थिति बदतर है। उन्होंने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में करोड़पतियों की संख्या में भी तेजी से गिरावट देखने को मिली है, जिससे स्पष्ट होता है कि देश आर्थिक मोर्चे पर बदहाल है। तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि लंदन में एक सभा को संबोधित करने के क्रम में किस तरह आतिशी ने भारत के विकसित होने की दिशा में अग्रसर होने के दावों को झूठा करार दिया है। बहुत मुमकिन है कि आगामी दिनों में इस पूरे मसले पर बीजेपी की ओर से भी प्रतिक्रिया आएगी।