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बाल ठाकरे की जयंती के दिन राज ठाकरे ने बदला अपनी पार्टी का नारा और झंडा

Raj thackrey MNS new Flag

नई दिल्ली। एक तरफ जहां शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अयोध्या राम मंदिर जाकर लोगों को एक खास संदेश देना चाहते हैं तो वहीं उनके चचेरे भाई और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने अब अपनी पार्टी का नारा और उसके झंडे को बदल दिया है।

बदला मनसे का नारा और झंडा

बता दें कि गुरुवार को शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर उनकी राजनीतिक विरासत के असल वारिस बनने की जंग तेज हो गई है। इस मौके पर राज ठाकरे ने अपनी विचारधारा को ‘मराठी मानुष’ से ‘हिंदुत्व’ की तरफ ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। मनसे ने पांच रंग के अपने झंडे को अब भगवा रंग दे दिया है। इसके साथ ही भगवा ध्वज पर शिवाजी की मुहर है और उस पर संस्कृत में श्लोक लिखा गया है- ‘प्रतिपच्चन्द्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववन्दिता, शाहसूनो: शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।’

बात दें कि शिवाजी से पहले, मराठों की मुहरें फारसी में हुआ करती थी। शिवाजी ने सांस्कृतिक प्रवृत्ति शुरू की, जिसका अनुपालन उनके वंशजों और अधिकारियों ने किया। अब इसी राह पर राज ठाकरे चलते हुए नजर आ रहे हैं।

एमएनएस का महाअधिवेशन

एमएनएस की ओर से महाअधिवेशन के लिए लगाया लगा पोस्टर पूरी तरह से भगवा रंग में दिखा। जिस पर नारा दिया गया ‘महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिंदू स्वराज्य का निर्धारण करो।’ पार्टी नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि भगवा पर किसी का कॉपीराइट नहीं है और पूरा महाराष्ट्र भगवा है। हम भगवा हैं, इस फैसले से महाराष्ट्र में नई ऊर्जा आएगी और महाराष्ट्र की राजनीति में नए मोड़ और विकल्प खुलेंगे।

अमित ठाकरे ने किया राजनीति में प्रवेश

मनसे का महाधिवेशन में मुंबई के गोरेगांव किया गया। इस महाधिवेशन में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को सक्रिय राजनीति में उतार दिया गया। यहां पार्टी कार्यकताओं का नारेबाजी करने का तरीका बदला नजर आया।

कार्यकर्ताओं ने जय भवानी, जय शिवाजी के नारे लगाए। कार्यकर्ता भगवा रंग की टोपी पहने हुए थे। मनसे का यह नया झंडा वही है, जिसकी तस्वीरें 2 दिन से सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। मनसे के नए झंडे में शिवाजी महाराज के शासनकाल की मुद्रा प्रिंट है। हाल ही में विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने 101 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।

दरअसल बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद से राज ठाकरे अपने आपको महाराष्ट्र में बाला साहब के असल उत्तराधिकारी के तौर पर रखते रहे हैं। बाल ठाकरे के चाहे व्यक्तित्व की बात हो, भाषण देने की कला या फिर विचारों का खुलापन इन सारी चीजों को राज ठाकरे ने अपना रखा है। वह बाल ठाकरे की स्टाइल में भाषण देते हैं, वही नारे लगाते हैं और जन समूह को उसी तरह आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।

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