जयपुर। राजस्थान में मची उठापटक से कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार सकते में है। आलाकमान ने सोचा था कि सीएम अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दिल्ली लाकर राजस्थान में सचिन पायलट को कमान दी जाए, लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने उल्टे आलाकमान को तीन मांगों के पेच में फंसा दिया है। गहलोत समर्थक विधायकों की ये तीन मांग है कि अशोक गहलोत का अध्यक्ष चुनाव के बाद सीएम पद से 18 अक्टूबर के बाद इस्तीफा लिया जाए। उनकी दूसरी मांग है कि अगला सीएम उन विधायकों में से बनाया जाए, जिन्होंने 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान सरकार नहीं गिरने दिया। तीसरी मांग इन विधायकों ने ये रखी है कि सीएम के तौर पर अशोक गहलोत का विकल्प भी बताया जाए।
इस बीच, गहलोत कैंप के विधायक ये भी कह रहे हैं कि मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अगला सीएम बनाने के लिए भी गांधी परिवार विचार करे। इस्तीफा देने वाले विधायकों ने ये आरोप भी लगाया है कि सीएम के नाम का चयन करते वक्त आलाकमान ने उनकी कोई राय नहीं ली। गहलोत सरकार में मंत्री महेश जोशी ने मीडिया से साफ कर दिया कि सोनिया गांधी पर हर विधायक को भरोसा है, लेकिन हम चाहते हैं कि वफादारों का ध्यान रखा जाए। वहीं, प्रताप सिंह खाचरियावास ने साफ कहा कि अब वे आलाकमान की तरफ से भेजे गए दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से मुलाकात नहीं करने वाले। खाचरियावास ने मीडिया से कहा कि विधायक पहले ही माकन और खड़गे से मिलकर अपनी बात रख चुके हैं। ऐसे में अब दोबारा मिलने का कोई मतलब नहीं है।
इस पूरे मामले में अशोक गहलोत के रुख से भी आलाकमान सकते में है। जब रविवार को गहलोत के समर्थक विधायक सामूहिक इस्तीफा देने सीपी जोशी के पास जा रहे थे, तो कांग्रेस महासचिव और गांधी परिवार के करीबी केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत को फोन किया था। वेणुगोपाल ने गहलोत से कहा कि वे माहौल को संभालें, लेकिन सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने कह दिया कि उनके हाथ में अब कुछ है ही नहीं। खबर अब ये है कि गहलोत के इस रुख से आलाकमान बेहद नाराज है और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की राह में रोड़ा अटक सकता है। हालांकि, गहलोत खुद संकेतों में कह चुके हैं कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से ज्यादा उनके लिए राजस्थान को देखना महत्वपूर्ण है।