नई दिल्ली। आज देशभर कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। ऐसे में दिल्ली के 6 केंद्रीय अस्पतालों को कोरोना वैक्सीन का केंद्र चुना गया है। जिसमें एम्स, सफदरजंग, RML, कलावती शरण और दो ईएसआई अस्पताल शामिल है। जहां इस वैक्सीन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा है कि मंजूरी पा चुके दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं और दोनों वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत इसको परखने और काफी सोचा, समझा गया है। इसलिए लोग इससे ना डरें और बेफिक्र होकर लगवाएं। हालांकि इस बयान के बाद भी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने वैक्सीन लगवाने में एक झिझक देखने को मिली। बता दें कि भारत के पहले स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का टीका लेने में RML अस्पताल के चिकित्सकों में झिझक दिखाई दी। गौरतलब है कि आरएमएल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने वैक्सीन को लेकर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को पत्र लिखा है। इस पत्र में डॉक्टर्स एसोसिएशन मांग की है कि उन्हें सिर्फ ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड ही दी जाए।
बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का उत्पादन कर रही है, और वहीं भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉडी मिलकर बना रही है। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को लिखे पत्र में रेजिडेंट डॉक्टरों ने कहा है कि कोवैक्सीन का टीका लगवाने में उन्हें झिझक महसूस हो रही है। ऐसे में इस टीकाकरण अभियान में शिरकत करने से वे दूर हो सकते हैं, इससे वैक्सीनेशन के उद्देश्य को झटका लग सकता है।
डॉक्टरों ने पत्र में कहा गया है कि, “कोवैक्सीन, जोकि भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया है उसे हमारे अस्पताल में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित कोविशील्ड के ऊपर प्राथमिकता दी जा रही है, इसको लेकर रेजिडेंट डॉक्टर थोड़े आशंकित हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि कोवैक्सीन का ट्रायल पूरी तरह से अभी नहीं हो पाया है। ऐसे में वे बड़ी संख्या में इस टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते हैं, हम इस संदेह को देखते हुए आपसे अपील करते हैं कि हमारा टीकाकरण कोविशील्ड से किया जाए, ना कि कोवैक्सीन से।” पत्र में ये भी कहा गया है कि, कोविशील्ड को इस्तेमाल में लाने से पहले सभी स्तरों पर परीक्षण किया गया है।