नई दिल्ली। आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि अंग्रेज चले गए, लेकिन अंग्रेजी छोड़ गए। लेकिन आपको बता दें कि अंग्रेजों ने न महज अपनी अंग्रेजी और अपनी विरासत हमारे बीच में छोड़ी है, बल्कि दशकों से चली आ रही अपनी एक रवायत भी हमारे बीच छोड़कर गए हैं, जिसका अनुपालन हमारे सियासी सूरमा आजादी के बाद से लेकर अब तक करते हुए आ रहे हैं। इसी बीच आपने एक ब्रिटिश रवायत का पालन उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को करते हुए देखा ही होगा। आइए, आपको बताते हैं कि आखिर वो रवायत क्या है।दरअसल, इस रवायत के तहत किसी भी प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को किसी फिल्मी अंदाज की भांति विधानसभा अध्यक्ष को ढूंढना होता है। नवनियुक्त विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा सदस्यों के बीच छुपाया जाता है ।आमतौर पर उन्हें ऐसी जगह छुपाया जाता है, जहां से उन्हें खोज पाना मुश्किल हो और इस रवायत के तहत नवनियुक्त मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष विधानसभा अध्यक्ष को ढूंढकर विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कराते हैं।
क्या होता है विधानसभा अध्यक्ष का काम
चलिए, अब इस बहाने ये भी जान लीजिए कि आखिर विधानसभा अध्यक्ष का क्या काम होता है। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष का काम विधानसभा में मौजूदा विभिन्न दलों के विचारों को सुनकर उन पर विवेचना करने हेतु मार्ग प्रशस्त करना होता है। इस दौरान कई बार कुछ मुद्दों को लेकर विभिन्न दलों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति में सतीश महाना के लिए आगामी दिनों में चुनौतीपूर्ण स्थिति रहेगी, क्योंकि सतीश महाना के ताल्लुकात अखिलेश यादव से लेकेर सीएम योगी तक काफी मधुर हैं। वैसे तो विधानसभा अध्यक्ष का मूल कर्तव्य किसी भी राजनीतिक दल का पक्ष न लेते हुए किसी भी मुद्दे पर निष्पक्ष राय रखना होता है। ऐसे में सतीश महाना क्या विभिन्न मुद्दों को लेकर क्या रुख रहता है। यह देखना भी काफी दिलचस्प रहेगा।