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कांग्रेस-NCP का साथ मिलते ही बदल गई शिवसेना, अजान प्रतियोगिता की शुरू की तैयार, भड़की भाजपा तो लिया यू टर्न

नई दिल्ली। कट्टर हिंदुवादी विचारधारा से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाली शिवसेना को लेकर अब लोगों का कहना है कि इस पार्टी ने सत्ता के लिए अपनी विचारधारा से समझौता कर लिया है। बता दें कि इसकी बानगी अब देखने को मिलती रहती है। दरअसल मुस्लिम बच्चों के लिए शिवसेना के दक्षिण मुंबई विभाग प्रमुख पांडुरंग सकपाल ने अजान पठन स्पर्धा के आयोजन की तैयारी की थी। लेकिन इसको लेकर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना को घेरा तो शिवसेना ने यूटर्न ले लिया। गौरतलब है कि दक्षिण मुंबई शिवसेना विभाग प्रमुख सकपाल ने छोटे बच्चों के लिए अजान प्रतियोगिता आयोजित करने का मन बनाया था। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी कर ली थी। यह आयोजन होता उससे पहले ही भाजपा ने शिवसेना की विचारधारा पर हमला बोलना शुरू कर दिया। मुंबई भाजपा प्रभारी विधायक अतुल भातखलकर ने शिवसेना की जमकर खिंचाई कर दी है। उन्होंने कहा कि अब शिवसेना को अजान अचानक मीठा लगने लगा है।

इस आयोजन को लेकर विवाद इसलिए बढ़ गया, क्योंकि, शिवसेना नेता पांडुरंग सकपाल ने अज़ान की तुलना महा-आरती से कर दी। सकपाल ने कहा कि अजान (Adhan) सिर्फ 5 मिनट की होती है और यह महा-आरती (Maha-Aarti) जितनी ही महत्वपूर्ण है, जो शांति और प्रेम का प्रतीक है। फिलहाल इस बयान को लेकर शिवसेना की सहयोगी पार्टी ने भी समर्थन किया है।

लेकिन इस बयान पर भाजपा नेता अतुल भतकलकर ने अपना विरोध जताते हुए शिवसेना को कहा कि, बालासाहब ठाकरे की जिस पार्टी को सड़क पर नमाज पढ़े जाने पर ऐतराज था, उसे अज़ान से ऐसा प्रेम कैसे हो गया। वहीं सपकाल का कहना है कि, ‘मैंने मुस्लिम बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए मुंबई के एक एनजीओ -माई फाउंडेशन- को अज़ान कॉम्पिटिशन कराने पर विचार करने का सुझाव दिया है।’

उन्होंने कहा कि, मैं जहां रहता हूं(मरीन लाइन पर बड़ा कब्रिस्तान के पास), वहां रोज अजान की आवाज सुनता हूं। यह बड़ा ही अद्भुत और मनमोहक होता है। जो भी एकबार सुनता है, दूसरी बार के लिए उत्सुकता से इंतजार करता है। इसी से अजान प्रतिस्पर्धा का विचार आया।’

शिवसेना के इस अजान प्रेम पर भाजपा की तरफ से कहा गया है कि, आखिर शिवसेना इतनी धर्मनिरपेक्ष हो गई है कि एमआईएम के सांसद को असउद्दीन ओवैसी को भी शर्म आ जाए। अब भगवा झंडा छोड़कर शिवसेना को हरा झंडा धारण करना ही बचा है।

बता दें कि इस विरोध के बाद सकपाल ने प्रतियोगिता के मुद्दे से यू टर्न ले लिया। उन्होंने  कहा कि मैने शिवसेना के पदाधिकारी शकील अहमद को अजान स्पर्धा के आयोजन के लिए सुझाव दिया था। और इसमें कुछ गलत नहीं है, मेरे बयान को मीडिया में गलत तरीके से पेश किया गया।

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