News Room Post

Aurangzeb: मौत के 300 साल बाद मुश्किल में मुगल बादशाह औरंगजेब! ये है वजह

मुगल बादशाह औरंगजेब की मौत साल 1707 में हुई थी। मौत के बाद उसकी लाश को महाराष्ट्र में दफनाया गया था। इसके बाद शहर का नाम औरंगाबाद रखा गया था। शिवसेना सरकार ने शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर रखा है। संभाजी, छत्रपति शिवाजी के बेटे थे। उनकी हत्या औरंगजेब ने कराई थी।

mughal emperor aurangzeb

मुंबई। अपनी मौत के 316 साल बाद मुगल बादशाह औरंगजेब फिर मुश्किल में है। मुश्किल की वजह औरंगजेब की कब्र है। औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) में है। शिवसेना के विधायक संजय शिरसाट ने मांग की है कि औरंगजेब की इस कब्र को यहां से हटाया जाए। शिरसाट ने कहा है कि वो औरंगजेब की कब्र को छत्रपति संभाजीनगर से हटाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखेंगे। दरअसल, महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने बीते दिनों औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव कर दिया था। औरंगाबाद का नाम बदले जाने के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील अपने समर्थकों समेत औरंगाबाद के कलेक्टर के दफ्तर पर क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं।

मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र।

विधायक संजय शिरसाट ने न्यूज चैनल एबीपी माझा से कहा कि एआईएमआईएम की क्रमिक भूख हड़ताल आंदोलन नहीं, बिरयानी पार्टी है। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद के मुसलमानों को शहर का नाम बदले जाने से दिक्कत नहीं है, लेकिन हैदराबाद के लोगों को हो रही है। शिरसाट ने सवाल किया कि आखिरकार एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील को औरंगाबाद का नाम बदले जाने से क्या दिक्कत है? उन्होंने पूछा कि क्या आप औरंगजेब के वंशज हैं? संजय शिरसाट ने कहा कि इनके नेता असदुद्दीन ओवैसी औरंगजेब की कब्र पर जाते और वहां सिर झुकाते हैं। शिवसेना विधायक ने कहा कि औरंगजेब की याद में कोई भी दिन मनाया नहीं जाना चाहिए। मुगल बादशाह की कब्र के अवशेषों को औरंगाबाद से हटाना भी चाहिए।

शिवसेना के विधायक संजय शिरसाट।

बता दें कि औरंगाबाद का नाम औरंगजेब के नाम पर रखा गया था। वहीं, उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के एक शासक के नाम पर रखा गया था। दोनों ही शहरों का नाम बदलने का फैसला एकनाथ शिंद की सरकार ने लिया। इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। जहां गृह मंत्रालय ने इसे हरी झंडी दिखा दी है। दोनों शहरों का नाम बदलने की अधिसूचना भी पिछले दिनों जारी की गई थी। शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे हमेशा औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलना चाहते थे, लेकिन वो इस काम में नाकाम रहे थे।

Exit mobile version