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Maharashtra Political Crisis: उद्धव ठाकरे को सत्ता से हटाने के लिए बीजेपी ने चला ये दांव, जानिए गवर्नर और शिवसेना का क्या है स्टैंड

devendra fadnavis with bhagat singh koshyari

मुंबई। महाराष्ट्र शिवसेना में मचा दंगल रोज नए रंग दिखा रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक शिवसेना सुप्रीमो और सीएम उद्धव ठाकरे को विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है। उद्धव सरकार से विश्वासमत प्रस्ताव हासिल करने की मांग गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से बीजेपी ने की है। माना जा रहा है कि गवर्नर एक-दो दिन में इस बारे में निर्देश दे सकते हैं। उधर, शिवसेना कैंप से खबर है कि अगर गवर्नर ने विश्वासमत हासिल करने का निर्देश उद्धव ठाकरे को दिया, तो पार्टी फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगी और 38 बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने तक विश्वासमत प्रस्ताव टालने की अपील करेगी। इस कदम के संकेत पहले ही शिवसेना के वकील देवदत्त कामत ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिए थे। उन्होंने बेंच से कहा था कि पूरे मामले का फैसला होने तक विश्वासमत लेने जैसी बात नहीं होनी चाहिए। वरना शिवसेना एक बार फिर कोर्ट का रुख करेगी।

गवर्नर कोश्यारी से बीती रात बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद फडणवीस ने कहा कि पार्टी ने कोश्यारी से कहा है कि वो तत्काल अघाड़ी सरकार को विश्वासमत हासिल करने का निर्देश दें। उधर, अब तक शिवसेना का साथ दे रहे 8 निर्दलीय विधायकों ने भी गवर्नर को ई-मेल भेजकर कहा है कि उनका समर्थन अब सरकार को नहीं है। इन विधायकों ने ये भी कहा है कि उद्धव सरकार अल्पमत में है और उससे विश्वासमत हासिल करने के लिए कहा जाए। बता दें कि गुवाहाटी में मौजूद एकनाथ शिंद के नेतृत्व में बागी विधायकों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि वो मौजूदा अघाड़ी सरकार का समर्थन नहीं करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व ने बैठक के लिए बुलाया था। उनसे कहा गया है कि शिवसेना के बागी विधायकों को ही आगे रखकर महाराष्ट्र में सियासी खेल किया जाए। दरअसल, बीजेपी नेतृत्व नहीं चाहता कि उस पर ये तोहमत लगे कि उसने ही शिवसेना में फूट कराकर महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने की कोशिश की। अब सबकी नजरें गवर्नर कोश्यारी पर टिक गई हैं। साथ ही ये भी देखना है कि विश्वासमत हासिल करने का निर्देश मिलने पर शिवसेना किस तरह सुप्रीम कोर्ट के जरिए इससे बचने की कोशिश करती है।

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