बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारामैया सरकार पर पहले आरोप लगा कि उसने ओबीसी का आरक्षण काटकर मुस्लिमों को दिया। अब मीडिया में ये खबर है कि कर्नाटक की सरकार 1 करोड़ रुपए तक के सिविल कार्य वाले सरकारी टेंडर में मुस्लिमों को आरक्षण देने की तैयारी कर रही है। अंग्रेजी अखबार डेकन हेरल्ड में छपी खबर के मुताबिक इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने पर कर्नाटक के सरकारी सिविल काम के 1 करोड़ तक के टेंडर में मुस्लिम समुदाय को 47 फीसदी कोटा यानी रिजर्वेशन दिया जाएगा। अखबार ने एक वरिष्ठ अफसर के हवाले से बताया है कि ऐसा फैसला अहिंदा समुदाय को सरकारी टेंडर प्रक्रिया में स्थान देने के लिए किया जा सकता है।
अभी कर्नाटक के सरकारी कार्य के टेंडर में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 24 फीसदी और ओबीसी के लिए कैटेगरी 1 के लिए 4 और कैटेगरी 2 के लिए 15 फीसदी आरक्षण है। सिद्धारामैया ने कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद ये रिजर्वेशन लागू किया था। इस तरह आरक्षण 43 फीसदी का हो जाता है। एक सूत्र के हवाले से डेकन हेरल्ड ने खबर में बताया है कि मुस्लिम समुदाय को सरकारी टेंडर में रिजर्वेशन देने के लिए कैटेगरी 2बी के तहत लाया जा सकता है। हालांकि, अभी इस बारे में फैसला नहीं हुआ है। कैटेगरी 1 में अभी बेस्ता, उप्पारा और दलित ईसाइयों समेत 95 समुदायों को रखा गया है। वहीं, कैटेगरी 2ए में कुरुबा, इडिगा और 100 अन्य समुदाय हैं।
अखबार के अनुसार कैटेगरी 1 और कैटेगरी 2ए में रिजर्वेशन बढ़ाए जाने से लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के ठेकेदार नाराज हैं। उन्होंने कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ पर इस मामले में मीटिंग बुलाने और सरकार के सामने मुद्दा उठाने की मांग रखी है। वहीं, ठेकेदार संघ ने सिद्धारामैया सरकार से मांग की है कि वो ठेके की धनराशि की सीमा 1 से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करे। बहरहाल, अगर सरकारी ठेकों में अगर मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाता है, तो इससे कर्नाटक की सियासत एक बार फिर गर्मा सकती है।