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Chief Justice DY ChandraChud On Pressure Tactics: ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर कोर्ट पर दबाव बनाया जाता है…पीएम मोदी का मेरे घर आना गलत नहीं…’, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की खरी-खरी

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम बात कही है। उन्होंने सोमवार को इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि सोशल मीडिया के आने के बाद खास तौर पर ऐसे प्रेशर ग्रुप दिख रहे हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये प्रेशर ग्रुप इस तरह का माहौल बनाते हैं कि उनके मुताबिक फैसला आए, तो माना जाएगा कि कोर्ट आजादी से काम कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का चुनावी बॉण्ड के खिलाफ फैसला आता है, तो कहा जाता है कि अदालत स्वतंत्र है, लेकिन फैसला सरकार के पक्ष में जाए, तो न्यायपालिका आजाद नहीं रह जाती। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये मेरी स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट की आजादी का मतलब ये नहीं है कि वो हमेशा सरकार के खिलाफ ही फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से 10 नवंबर को रिटायर हो रहे चंद्रचूड़ ने कहा कि इसी पर उनको आपत्ति है। उन्होंने कहा कि एक जज की अंतरात्मा कानून और संविधान से निर्देशित होती है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के गणपति पूजा के मौके पर चीफ जस्टिस आवास जाने के मसले का भी जिक्र किया। चंद्रचूड़ ने कहा कि उनको इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच और सामाजिक स्तर पर भी बैठक होती है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रपति भवन में होने वाले कार्यक्रमों और गणतंत्र दिवस जैसे मौकों पर भी मिलते हैं। इस बातचीत में उन मामलों पर चर्चा नहीं होती, जिन पर कोर्ट फैसला लेता है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में शक्ति के विभाजन का ये मतलब नहीं कि न्यापालिका इस वजह से नीतियां न बनाए कि वो कार्यपालिका का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि नीति तैयार करने का काम सरकार का है। कार्यपालिका कभी भी न्यायिक मामलों में दखल नहीं दे सकती। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब तक ये स्पष्ट अंतर है, उस वक्त तक न्यापालिका और कार्यपालिका की मुलाकात और बातचीत में कोई गलती नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पहले भी कह चुके थे कि मोदी का उनके आवास जाकर गणपति पूजन में हिस्सा लेना गलत नहीं था। इस मामले पर सियासत गर्माई थी और विपक्षी नेताओं समेत तमाम लोगों ने न्यायपालिका की आजादी से समझौता किए जाने का आरोप लगाकर चंद्रचूड़ की तरफ अंगुली उठाई थी।

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