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UP: यूपी की घोसी सीट पर सपा की जीत के हैं अहम मायने, दारा सिंह चौहान के साथ ओमप्रकाश राजभर की राह में भी अटकेगा रोड़ा!

dara singh chauhan and om prakash rajbhar

लखनऊ। विधानसभा के उपचुनाव में यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी घोसी सीट हार गई। बीजेपी से सपा में जाकर फिर बीजेपी में आए दारा सिंह चौहान ने घोसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सपा के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने उन्हें धूल चटा दी। यूपी की घोसी सीट पर हुआ ये चुनाव कई तरह के मायने भी सामने लेकर आया है। पहला तो ये कि लगातार दल बदलने वाले दारा सिंह चौहान को जनता ने नकार दिया। यहां तक कि दारा सिंह चौहान पिछली बार 42 फीसदी वोट हासिल किए थे, लेकिन इस बार 4 फीसदी वोट बढ़ने के बाद भी वो चुनावी मैदान में खेत रहे।

सपा ने घोसी सीट पर दम ऐसा दिखाया है कि 15 फीसदी वोट बढ़ा ले गई। सपा के विजयी उम्मीदवार सुधाकर सिंह को 57 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। दारा सिंह चौहान के खिलाफ सपा ने जमकर ये प्रचार किया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी छोड़कर सपा में आए थे और अब मंत्री बनने की चाह में फिर बीजेपी में चले गए हैं। इस मुद्दे को सपा ने इतना तूल दिया कि दारा सिंह चौहान के सामने जनता को जवाब देने का मौका तक नहीं मिला। नतीजे में वो घोसी सीट को हार बैठे।

घोसी के चुनाव में दारा सिंह चौहान की हार से बीजेपी के एनडीए गठबंधन में दोबारा शामिल हुए सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को भी जोर का झटका लगा है। दरअसल, ओमप्रकाश राजभर अपने उल्टे-सीधे बयानों की वजह से राजभर समुदाय में पैठ बनाकर नहीं रख सके। चुनाव के दौरान ओमप्रकाश राजभर जीत के प्रति बहुत उत्साहित दिख रहे थे। उन्होंने ये बयान तक दिया था कि यादवों की बुद्धि दोपहर 12 बजे जागती है। माना जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर का ये बयान भी दारा सिंह चौहान के लिए मुश्किल का सबब बन गया। बीजेपी के ही सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद तक ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर को संभलकर बयान देना चाहिए। बहरहाल, घोसी उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी निश्चित तौर पर नए सिरे से लोकसभा चुनाव के लिए गुणा गणित कर रही होगी, लेकिन फिलहाल तो ये लग रहा है कि घोसी के इस नतीजे ने दारा सिंह चौहान के साथ ही ओमप्रकाश राजभर के दोबारा योगी सरकार में मंत्री बनने की राह में रोड़ा अटका दिया है।

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