नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने निंदा की है और इसको लेकर गहरी चिंता भी जताई है। एफएटीएफ ने स्पष्ट कहा है कि यह हमला या इस तरह की अन्य घटनाएं आतंकवादी समर्थकों के बीच धन के लेन-देन के साधनों के बिना संभव नहीं है, मतलब बिना फंडिंग के ऐसी घटनाओं को अंजाम नहीं दिया जा सकता। एफएटीएफ ने कहा कि इस प्रकार के हमलों के पीछे एक गहरा और संगठित वित्तीय नेटवर्क होता है, जो पैसों के दम पर दुनिया भर में आतंकवाद को फैलाता है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>FATF notes with grave concern and condemns the brutal terrorist attack in Pahalgam on 22 April 2025. This, and other recent attacks, could not occur without money and the means to move funds between terrorist supporters. <br><br>Statement <a href=”https://t.co/kimD8pth6h”>pic.twitter.com/kimD8pth6h</a></p>— Sidhant Sibal (@sidhant) <a href=”https://twitter.com/sidhant/status/1934591898490192101?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 16, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
पहलगाम आतंकी हमलों को बेहद क्रूर कृत्य बताते हुए एफएटीएफ ने कहा कि आतंकवादी हमले दुनिया भर में लोगों की जान लेते हैं, उन्हें अपंग बनाते हैं और लोगों में भय पैदा करते हैं। इन हमलों पर लगाम लगाने और आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के लिए एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग को रोकने वाले उपायों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। संस्था ने कहा कि जब तक आतंकवाद पर यह पैसा बहता रहेगा आतंक जारी रहेगा। FATF अध्यक्ष ने कहा कि आतंकवादियों को सिर्फ एक बार सफल होने की जरूरत है जबकि हमें हर बार सफल होना है। आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए उन्होंने वैश्विक समुदाय से साथ आने का आह्वान किया।
आपको बता दें कि एफएटीएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण, इसके प्रसार से निपटने के लिए नीतियां बनाना और मानक निर्धारित करना है। याद दिला दें कि पहलगाम में आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर मारा था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी जिनमें से 25 सैलानी और 1 स्थानीय पिट्ठू वाला भी था। पिट्ठू वाले ने पर्यटकों को बचाने की कोशिश की इसलिए आतंकियों ने उसे भी मार दिया था।