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Supreme Court On Freebies Declared By Political Parties: राजनीतिक दलों की मुफ्त की योजनाओं के वादों पर लगेगी रोक?, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

नई दिल्ली। तमाम राजनीतिक दल चुनाव में जीतने पर मुफ्त की योजनाएं देने का वादा करते हैं। इसी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अपील की गई है कि राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाएं घोषित करने को घूस देना माना जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पहले भी कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। ताजा याचिका में कोर्ट से अपील की गई है कि वो चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं संबंधी वादों पर रोक लगाने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाए।

बता दें कि मुफ्त की योजनाओं के एलान का सिलसिला दिल्ली के विधानसभा चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले शुरू किया था। आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने पर मुफ्त बिजली और पानी देने का वादा जनता से किया था। वहीं, इससे पहले दक्षिण के राज्यों में वोटरों को लुभाने के लिए सोने के जेवर और टीवी सेट देने के वादे भी तमाम प्रत्याशी और पार्टियां समय-समय पर करती दिखी थीं। पिछले साल कांग्रेस ने कई राज्यों के विधानसभा और फिर लोकसभा चुनावों के दौरान मुफ्त की योजनाएं लागू करने का एलान किया था। बीजेपी की तरफ से भी मुफ्त की योजनाएं लागू करने का एलान चुनावों के वक्त किया गया। खास बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद मुफ्त की योजनाओं के एलान को राज्यों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने की बड़ी वजह बता चुके हैं।

कानून के मुताबिक भारत में जाति, धर्म या किसी भी तरह का प्रलोभन देकर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। अगर किसी प्रत्याशी पर इस तरह का कोई भी आरोप साबित हो जाए, तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है। ऐसे में अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर होगी। सुप्रीम कोर्ट अगर मुफ्त की योजनाओं को लागू करने के राजनीतिक दलों के वादे पर रोक लगाता है, तो चुनावों में सभी पार्टियों को विकास और अन्य जनहितकारी योजनाओं को लागू करने का वादा करना होगा। हालांकि, इस पर जल्दी फैसला आना मुश्किल है, लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगने के साथ पहल शुरू कर दी है।

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