नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट की पर्चियों और ईवीएम में पड़े सभी वोटों का मिलान करने संबंधी अर्जी को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बैलेट पेपर से चुनाव नहीं कराया जाएगा। चुनाव ईवीएम से ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो सिंबल लोडिंग यूनिट को सील करे। वीवीपैट की पर्चियों को 45 दिन तक सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि संबंधित सीट का नतीजा आने के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनियों के इंजीनियर उसकी जांच करेंगे। इसके लिए प्रत्याशी को नतीजा आने के 7 दिन में आवेदन करना होगा।
Justice Khanna : The burnt memory semicontroller in 5% of the EVMs that is the Control Unit, Ballot Unit and the VVPAT per assembly constituency per parliamentary constituency shall be checked and verified by a team of engineers from the manufacturers of the EVM post the…
— Live Law (@LiveLawIndia) April 26, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से भी कई अहम सवाल पूछे थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या नियंत्रण इकाई या वीवीपैट में माइक्रो कंट्रोलर लगा हुआ है? कोर्ट का दूसरा अहम सवाल ये था कि क्या माइक्रो कंट्रोलर एक बार प्रोग्राम करने योग्य है? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से तीसरा सवाल ये पूछा था कि सिंबल लोड करने वाली कितनी इकाइयां उपलब्ध हैं? सुप्रीम कोर्ट का चौथा सवाल ये था कि चुनाव याचिका दायर करने की समयसीमा 30 दिन है। इस तरह स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिन तक चुनाव आयोग रखता है, लेकिन कानून के तहत चुनाव याचिका की समयसीमा 45 दिन है? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ये कहा था कि आपको इसे ठीक करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा था कि वीवीपैट काम कैसे करता है? सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वालों ने वीवीपैट मशीनों में लगे पारदर्शी कांच को अपारदर्शी कांच से बदलने के चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को पलटने की मांग भी की थी। वीवीपैट में रोशनी आने पर सिर्फ 7 सेकेंड तक मतदाता देख सकता है कि उसने जिस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया, वो सही है या नहीं।
ईवीएम और वीवीपैट पर तमाम आरोप याचिका देने वालों ने लगाए। इन सभी को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में गलत बताया। चुनाव आयोग ने ये भी कोर्ट को बताया कि अगर सभी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाएगा, तो चुनाव नतीजा आने में 10 से 13 दिन भी लग सकते हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर साफ कहा था कि पहले जब बैलेट पेपर से चुनाव होता था, तब क्या होता रहा ये सभी ने देखा है। उन्होंने इस मांग पर ये कहा था कि भारत में चुनाव प्रक्रिया बहुत बड़ा काम है और व्यवस्था को खराब करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। बीते बुधवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि वो चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता और न ही एक सांविधानिक निकाय के लिए नियंत्रक के तौर पर काम कर सकता है। कोर्ट ने कहा था कि गलत काम करने वाले के खिलाफ कानून के तहत नतीजे के प्रावधान हैं। कोर्ट सिर्फ शक की बिनाह पर आदेश नहीं दे सकता।