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Justice Yashwant Verma Cash Scandal : जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Justice Yashwant Verma Cash Scandal : जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के द्वारा गठित एक आंतरिक जांच समिति इस मामले की पड़ताल कर रही है। आंतरिक जांच रिपोर्ट के बाद यदि कुछ गलत पाया जाता है तो फिर कानून के मुताबिक आगे की प्रक्रिया की जाएगी।

नई दिल्ली। कैश बरामदगी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने  की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के द्वारा गठित एक आंतरिक जांच समिति इस मामले की पड़ताल कर रही है। आंतरिक जांच रिपोर्ट के बाद यदि कुछ गलत पाया जाता है तो फिर कानून के मुताबिक आगे की प्रक्रिया की जाएगी। सीजेआई खन्ना जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं या मामले को संसद को भेज सकते हैं।

इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और अन्य के द्वारा दायर किया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि अगर किसी राजनेता या व्यापारी के घर से नकदी बरामद होती तो तुरंत उस पर एफआईआर दर्ज हो जाती, मगर हाईकोर्ट जज के मामले में ऐसा नहीं किया गया, आखिर क्यों? आपको बता दें कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर 14 मार्च का आग लग गई थी। जिस समय आग लगी जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे। आग बुझाने के लिए दमकलकर्मियों को बुलाया गया। आग बुझाने के बाद जब दमकलकर्मी नुकसान का जायजा ले रहे थे तभी उन्हें एक स्टोर रूम में बड़ी संख्या में नोट मिले जिनमें से बहुत से जले हुए थे। दमकलकर्मियों ने इस बात की जानकारी अपने आलाधिकारियों को दी तब यह मामला उजागर हुआ।

उधर, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश कर दी थी जिसके विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के तबादले की सिफारिश पर पुनर्विचार करने का आश्वासन वकीलों को दिया है। उधर दिल्ली पुलिस ने जस्टिस वर्मा के घर के उस हिस्से को सील कर दिया है जहां मिले थे।

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