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Forced Conversion: जबरन धर्मांतरण पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, पिछली बार केंद्र और कोर्ट ने रखा था ये रुख

Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज एक बार फिर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करने वाला है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन को गंभीर बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गंभीर माना था। जस्टिस शाह ने कहा था कि सभी को धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन धर्मांतरण से ऐसा नहीं हो सकता। वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला दिया था। केंद्र ने कहा था कि दबाव, धोखे या लालच से धर्म बदलना गंभीर मसला है। उसने कहा था कि धर्म का प्रचार करना मौलिक अधिकार है, लेकिन धर्म बदल देना अधिकार के तहत नहीं आता। केंद्र ने ये भी कहा था कि वो इस मामले में जरूरी कदम भी उठाएगा।

इस मामले में गुजरात सरकार ने भी हलफनामा दिया है। गुजरात सरकार ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून की वकालत की है। गुजरात सरकार ने कहा है कि धर्म की आजादी के अधिकार में लोगों को जबरन या लालच देकर धर्म बदलवाना मौलिक अधिकार नहीं है। इसी वजह से उसने राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया है। गुजरात सरकार ने जबरन धर्मांतरण को मौलिक अधिकारों का हनन तक बताया है। पूरा मामला तंजावुर की 17 साल की छात्रा लावण्या की आत्महत्या के बाद से उठा है। लावण्या ने 19 जनवरी को जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। उससे पहले उसने वीडियो बनाया था।

लावण्या ने वीडियो में कहा था कि सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंड्री स्कूल में उसे ईसाई बनने के लिए दबाव डाला जा रहा है। उसका उत्पीड़न हो रहा है। इस वजह से वो जान दे रही है। इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने लावण्या केस का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ याचिका दाखिल की है। उन्होंने कोर्ट से दखल देने की अपील की है।

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