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Caste Census PIL In Supreme Court: जातिगत जनगणना का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कई फायदे गिनाते हुए केंद्र को निर्देश देने की जनहित याचिका दाखिल

नई दिल्ली। जातिगत जनगणना का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इस मामले में सोमवार 2 सितंबर को सुनवाई होने की संभावना है। जनहित याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वो केंद्र सरकार को पिछड़े और कमजोर वर्गों की जातिगत जनगणना कराने का निर्देश दे। ताकि इन वर्गों का कल्याण हो सके। जनहित याचिका दाखिल करने वाले ने जातिगत जनणना कराने के कई फायदे भी गिनाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में जातिगत जनगणना के फायदे बताए गए हैं कि इससे अब तक वंचित रहने वाले समूहों की पहचान हो सकेगी। इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि जातिगत जनगणना से संसाधनों को बांटने में समानता होगी। नीतियों को लागू करने की निगरानी में मदद मिलने, सामाजिक न्याय और संविधान के उद्देश्यों को हासिल करने और वंचित समुदायों की भलाई का काम भी जातिगत जनगणना से होने का फायदा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में कही गई है। याचिका में कहा गया है कि सटीक डेटा होने से सामाजिक और आर्थिक भलाई होगी और जनसांख्यिकी को समझने में मदद भी मिलेगी।

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने काफी दिन से जातिगत जनगणना कराने की मांग जारी रखी हुई है। जातिगत जनगणना की मांग सबसे पहले कांग्रेस ने उठाई थी। लोकसभा चुनाव में इसे विपक्षी दलों ने मुद्दा भी बनाया था। हाल के दिनों में मोदी सरकार में शामिल एलजेपी-आर के नेता चिराग पासवान ने भी जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में बयान दिया है। वहीं, बीएसपी सुप्रीमो मायावती लगातार इस मसले पर कांग्रेस को निशाने पर ले रही हैं कि उसने सबसे लंबे वक्त तक केंद्र में शासन किया, लेकिन तब जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराई। साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने भी जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस मुद्दे पर भी कांग्रेस घिरती रही है। बिहार में सबसे पहले नीतीश कुमार की सरकार ने जातिगत सर्वे कराया था। इसके आधार पर नीतीश सरकार ने बिहार में पिछड़े वर्गों का आरक्षण बढ़ाने का कानून भी पास कराया, लेकिन पहले पटना हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने कोटा बढ़ाने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपने फैसले में कह चुका है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हालांकि, मोदी सरकार की तरफ से गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखाई थी। अब देखना ये है कि जातिगत जनगणना की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उसका रुख पूछा जा सकता है। ऐसे में तभी जानने को मिलेगा कि जातिगत जनगणना पर मोदी सरकार और बीजेपी क्या सोचती है।

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