News Room Post

राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र की भूमि के समतलीकरण में देखिए क्या-क्या निकला…जानकर हो जाएंगे हैरान

नई दिल्ली। रामजन्मभूमि परिसर में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए समतलीकरण का कार्य जारी है। इस बीच रामजन्मभूमि परिसर में मलबा हटाने और जमीन को समतल करने के दौरान कई पुरातत्व महत्व की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। कई प्राचीन खंभे और दूसरी चीजें भी मिली है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री, चंपत राय ने इसकी पुष्टि की है।

4 फीट से बड़ा एक शिवलिंग उस हिस्से से मिला है जहां मलवा हटाया जा रहा था। खुदाई के दौरान भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अतिरिक्त 7 ब्लैक टच स्टोन के खंभे, 6 रेड सैंडस्टोन के खंभे भी मिले हैं। इन पर जिस तरह की आकृतियां खुदी हैं उससे साफ है कि ये प्राचीन और पुरातत्व महत्व के हैं। रामजन्मभूमि परिसर के पुराने गर्भगृह स्थल के समतलीकरण का कार्य श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में 11 मई से चल रहा है।

चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में भावी मंदिर के निर्माण के लिए भूमि के समतलीकरण एवं पुराने गैंग-वे को हटाने का काम जारी है। कोरोना महामारी के संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन करते हुए मशीनों का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, मास्क समेत अन्य सभी सुरक्षा उपायों का प्रयोग किया जा रहा है।

समतलीकरण में मिले ये पुरावशेष

11 मई से प्रारंभ समतलीकरण कार्य में विभिन्न प्रकार के पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हो रहे हैं। खुदाई के दौरान अब तक देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प, कलश, आमलक, दोरजांब, विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां, मेहराब के पत्थर, सात ब्लैक टच स्टोन के स्तंभ, आठ रेड सैंड स्टोन के स्तंभ, पांच फीट आकार की नक्काशी युक्त शिवलिंग की आकृति आदि पुरातात्विक वस्तुएं प्राप्त हुईं हैं।

 

 

क्या है इससे पहले का पुरातात्विक इतिहास

गौरतलब है कि इससे पहले अयोध्या में विवादित स्थल को मंदिर और मस्जिद को लेकर चल रही सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल की जांच के लिए खुदाई करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से जीपीआर सर्वे कराया गया। सर्वेक्षण विभाग ने ये काम टोजो विकास इंटरनेशनल नाम की कंपनी से कराया। यहां पर खुदाई का काम अगस्त-अक्टूबर माह में कराया गया। खुदाई करने के बाद इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें बताया गया कि वहां जमीन के अंदर कुछ इमारतों के 184 अवशेष और अन्य चीजें मिली हैं।

हाईकोर्ट ने मार्च में कहा था खुदाई करके सबूत जमा करें 

कोर्ट ने हिंदु मुस्लिम पक्षों को सुनने के बाद मार्च 2003 में सिविल प्रोसीजर कोड के तहत एएसआई( भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ) विभाग को आदेश दिया कि वो वहां खुदाई करके सबूत की तलाश करें। मगर ये खुदाई संबंधित विवादित परिसर ( केवल उस स्थान को छोड़कर जहां दिसंबर 1992 में विवादित मस्जिद ध्वस्त होने के बाद से तम्बू के अंदर भगवान राम की मूर्ति रखी है) के बाहर की जाए। उसके बाद सबूत तलाशे जाए।

100 साल के इतिहास में पहला काम 

एएसआई रिपोर्ट में कहा गया कि 100 साल के इतिहास में कोर्ट कमीशन के तौर पर इस तरह के काम का उसका यह पहला अनुभव है। इसी के साथ अदालत को यह भी बताया गया कि उस इलाके की इतनी गहराई तक खुदाई हो चुकी है कि अब दोबारा खुदाई के लिए कोई नया आयोग बनाना इसके लिए व्यावहारिक नहीं होगा। अदालत का निष्कर्ष यह था कि अंतिम फैसला देते समय बाकी सबूतों के साथ ही इसके निष्कर्षों पर भी विचार किया जाएगा

जब वक्फ बोर्ड ने दर्ज की आपत्ति

जब खुदाई हो गई, उसकी रिपोर्ट तैयार हो गई तब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 20 बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी। कहा कि रिपोर्ट को सबूत के तौर पर विचार न किया जाए और उसे रद्द कर दिया जाए। जब वक्फ बोर्ड ने आपत्ति दर्ज की तब निर्मोही अखाड़ा की ओर से कहा गया कि सही स्थिति का पता करने के लिए पूरब की ओर कुछ और हिस्से में खुदाई की जा सकती है।

पहले बौद्ध एवं जैन मंदिर के मिले थे अवशेष

एएसआई ने जो अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है उसमें आसपास के अन्य स्थानों पर हुई खुदाई के दौरान भी कई चीजें मिली हैं। अदालत में हुई बहस के दौरान कहा गया कि वे बौद्ध एवं जैन मंदिर के अवशेष हो सकते हैं। इसके अलावा यहां पर कुछ जानवरों की हड्डियां और अरबी में लिखा एक पत्थर भी मिला है। इन सभी चीजों के बारे में अदालत को बताया गया।

Exit mobile version